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सरकार के ताजा रुख से दलहन खेती में बढ़ेगा और भरोसा, खरीफ की दलहन का रकबा पिछले सालों के मुकाबले बढ़ा

जिंस बाजार में अरहर का मूल्य 5500 से 6000 रूपये प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है। जबकि चालू सीजन के लिए अरहर का एमएसपी 6000 रूपये क्विंटल ही है। PC Pixabay

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sat, 05 Sep 2020 01:40 PM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 09:48 AM (IST)
सरकार के ताजा रुख से दलहन खेती में बढ़ेगा और भरोसा, खरीफ की दलहन का रकबा पिछले सालों के मुकाबले बढ़ा
सरकार के ताजा रुख से दलहन खेती में बढ़ेगा और भरोसा, खरीफ की दलहन का रकबा पिछले सालों के मुकाबले बढ़ा

नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। दलहन आयात निर्भरता को एक झटके में खत्म करने में सरकार के पुख्ता प्रबंधन ने अहम भूमिका निभाई है। कई अन्य उपायों के अलावा घरेलू किसानों पर भरोसा जताना इसमें बहुत काम आया। पिछले दो सालों से जरूरतभर पैदावार हो जाने की वजह से दालों का आयात मामूली रह गया जो चालू सीजन में पूरी तरह समाप्त हो सकता है।

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दलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने कई बड़ी पहल की जिसमें दलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में पर्याप्त बढ़ोतरी की घोषणा की गई। खुले बाजार के मूल्य और एमएसपी के बीच के अंतर को कम करने की कोशिश की गई। इसी के तहत अरहर और उड़द जैसी प्रमुख दालों के लिए सीमित मात्रा में आयात करने की छूट को भी धीरे-धीरे खत्म किया जा सकता है।

घरेलू बाजार में आवश्यक जिंसों के मूल्यों में भारी उतार-चढ़ाव की निगरानी के लिए गठित मंत्री समूह की नजर दाल बाजार पर बराबर टिकी रहती है। चालू खरीफ सीजन में अरहर, उड़द और मूंग प्रमुख दलहन फसलें हैं। बाजार के ताजा रुख को देखते हुए इन फसलों का बोआई रकबा इस बार पिछले साल के मुकाबले तकरीबन पांच फीसद अधिक है।

जिंस बाजार में अरहर का मूल्य 5500 से 6000 रूपये प्रति क्ंिवटल के बीच चल रहा है। जबकि चालू सीजन के लिए अरहर का एमएसपी 6000 रूपये क्ंिवटल ही है। सीमित आयात लाइसेंस (क्यूआरएल) के तहत छूट नहीं दी गई है। सरकार ने अगर इस कटेगरी में लाइसेंस जारी न करे तो अरहर की नई फसल को अच्छा मूल्य प्राप्त हो सकता है। चालू सीजन में अरहर की खेती का रकबा 47.73 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है जो पिछले साल के मुकाबले 6.34 फीसद अधिक है।

घरेलू बाजारों में उड़द का भाव 6500 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है। जबकि इसका एमएसपी 6000 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित है। बस कुछ दिनों में ही बाजार में नई उड़द के पहुंच जाने की संभावना है। इससे किसानों को अच्छा भाव मिल सकता है। हालांकि उड़द के सीमित आयात लाइसेंस की अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो चुकी है। आयात की अनुमति न मिलने की वजह से ही बाजार में मूल्य एमएसपी से ऊपर बोला जाने लगा है। सरकार का यह फैसला किसानों को बड़ा फायदा पहुंचा सकता है। चालू सीजन में उड़द का रकबा 37.92 लाख हेक्टेयर पिछले साल के मुकाबले मामूली रूप से अधिक है।

मूंंग का भाव खुले बाजार में घोषित एमएसपी 7196 रूपए प्रति क्विंटल के मुकाबले नीचे बोला जा रहा है। फिलहाल इसका मूल्य 6500 रूपए प्रति क्ंिवटल के आसपास चल रहा है। चालू सीजन में मूंग का खेती रकबा 35.54 लाख हेक्टेयर हो गया है जो पिछले साल के मुकाबले 16.64 फीसद अधिक है। इससे स्पष्ट है कि मूंग की कीमतें एमएसपी से नीचे ही रह सकती हैं। दाल बाजार पर नजर रखने वालों के मुताबिक रणनीतिकारों की सही चाल के चलते दाल की मांग और आपूर्ति का अंतर नहीं बढ़ेगा जिससे बाजार काबू में रह सकता है।


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