Move to Jagran APP

सुधार की राह पर वृहद आर्थिक स्थिति लेकिन महंगाई बढ़ी, सावधानी बरतने की जरूरत: कौशिक बसु

विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु का मानना है कि भारत में कुल वृहद आर्थिक स्थिति सुधार की राह पर है लेकिन चिंता की बात यह है कि इसका लाभ कुछ क्षेत्रों या बड़े व्यवसायों को ही मिल रहा है।

By Lakshya KumarEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 09:27 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 10:50 AM (IST)
सुधार की राह पर वृहद आर्थिक स्थिति लेकिन महंगाई बढ़ी, सावधानी बरतने की जरूरत: कौशिक बसु
सुधार की राह पर वृहद आर्थिक स्थिति लेकिन महंगाई बढ़ी, सावधानी बरतने की जरूरत: कौशिक बसु

नई दिल्ली, पीटीआइ। विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु का मानना है कि भारत में कुल वृहद आर्थिक स्थिति सुधार की राह पर है, लेकिन चिंता की बात यह है कि इसका लाभ कुछ क्षेत्रों या बड़े व्यवसायों को ही मिल रहा है। बीते माह खुदरा महंगाई में आए तेज उछाल के बीच बसु ने कहा कि देश मुद्रास्फीतिजनित मंदी का सामना कर रहा है और इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए बेहद सावधानी से नीतिगत हस्तक्षेप की जरूरत है। मुद्रास्फीतिजनित मंदी से आशय ऊंची मुद्रास्फीति के बीच बेरोजगारी दर ऊंची और अर्थव्यवस्था की मांग कम रहने से है।

loksabha election banner

बता दें कि बसु पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे थे। फिलहाल, वह अमेरिका के कार्नेल यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। उन्होंने कहा कि समग्र अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, लेकिन देश का एक बड़ा हिस्सा मंदी में है। पिछले कुछ सालों के दौरान देश की नीति कुछ बड़े व्यवसायों पर केंद्रित रही है, जो दुख की बात है। बसु ने कहा कि देश में युवा बेरोजगारी दर कोरोना महामारी से पहले ही 23 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, जो दुनिया में सबसे अधिक है।

उन्होंने कहा कि श्रमिकों, किसानों और छोटे व्यवसायों के लिए नकारात्मक वृद्धि देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि 2021-22 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। चूंकि महामारी के कारण 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी। ऐसे में पिछले दो साल की औसत वृद्धि दर मात्र 0.6 प्रतिशत बैठेगी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने अपने पहले अग्रिम अनुमान में अप्रैल, 2021 से मार्च, 2022 के वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जबकि रिजर्व बैंक ने इसी अवधि के दौरान 9.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है। विश्व बैंक ने 8.3 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है जबकि आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) का अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 9.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को आगामी बजट में राजकोषीय मजबूती के लिए कदम उठाने चाहिए या प्रोत्साहन उपायों को जारी रखना चाहिए, बसु ने कहा कि भारत की मौजूदा स्थिति वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पूरे राजकोषीय तंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.