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RBI के पैनल को हेड करेंगे केवी कामथ, बोर्ड में दिवाकर, मनोहरन भी होंगे शामिल

कोविड-19 ने जिस तरह से पूरी दुनिया की इकोनॉमी को तहस नहस किया है उसे देखते हुए घरेलू उद्योग जगत के साथ ही बैंकों की तरफ से यह मांग की जा रही था कि उनकी कर्ज योजनाओं

By NiteshEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 05:08 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 07:19 PM (IST)
RBI के पैनल को हेड करेंगे केवी कामथ, बोर्ड में दिवाकर, मनोहरन भी होंगे शामिल
RBI के पैनल को हेड करेंगे केवी कामथ, बोर्ड में दिवाकर, मनोहरन भी होंगे शामिल

नई दिल्ली, आइएएनएस। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को केवी कामथ की अगुवाई में एक विशेषज्ञ समिति के गठन की घोषणा की। यह समिति बैंक के 'प्रूडेंशियल फ्रेमवर्क' के तहत कोविड-19 से संबंधित स्ट्रेस्ड एसेट्स के लिए एक विशेष विंडो पर सिफारिशें दे रही है। कामथ के नेतृत्व वाले पैनल में 1 सितंबर 2020 से दिवाकर गुप्ता और टीएन मनोहरन शामिल हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि अश्विन पारेख, अश्विन पारेख सलाहकार सेवा एलएलपी के प्रबंध भागीदार और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के सीईओ क्रमशः रणनीति सलाहकार और सदस्य-सचिव होंगे।

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पंजाब नेशनल बैंक के पूर्व सीईओ सुनील मेहता IBA के मौजूदा मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। गुरुवार को आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की थी कि आर्थिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और उधारकर्ताओं पर प्रभाव को कम करने के लिए एक सिंगल विंडो की सुविधा दी जाएगी। 

समिति आरबीआई को वित्तीय मापदंडों पर अपनी सिफारिशें देगी जो 30 दिनों के भीतर अगर कोई संशोधनों हो तो सूचित करेगी। पैनल अपने कामकाज के लिए अपनी प्रक्रियाओं को तैयार कर सकता है। यह आरबीआई के तहत कार्य करेगा। इसके अनुसार, इसका खर्च और इसके सचिवालय का खर्च शीर्ष बैंक उठाएगा। आरबीआई के बयान में कहा गया है कि अधिक से अधिक सदस्यों को शामिल करने के लिए समिति का विस्तार किया जा सकता है।

गौरतलब है कि गुरुवार को आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश की उसमें कोविड से प्रभावित बैंकिंग लोन को रिस्ट्रक्चर करने की नीति की घोषणा की गई है। समीक्षा में ब्याज दरों को प्रभावित करने वाले रेपो रेट को 4 फीसद पर ही स्थिर रखा गया है।

कोविड-19 ने जिस तरह से पूरी दुनिया की इकोनॉमी को तहस नहस किया है उसे देखते हुए घरेलू उद्योग जगत के साथ ही बैंकों की तरफ से यह मांग की जा रही था कि उनकी कर्ज योजनाओं को नए सिरे से भुगतान करने की मोहलत मिले।


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