'सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य होने के बाद इन समस्याओं से जूझ रहे हैं जौहरी, उद्योग पर संकट
ऑल इंडिया जेम एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल (GJC) ने कहा कि सर्राफा कारोबारियों को क्षतिग्रस्त सोने के सामान के अलावा परख केंद्रों से हॉलमार्क वाले आभूषण पाने में देरी और सामानों पर आईडी सिस्टम प्रणाली लागू करने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सोने की अनिवार्य हॉलमार्किंग प्रक्रिया 16 जून से शुरू की गई थी, लेकिन इसमें कई दिक्कतें सामने आ रही हैं। जौहरियों, सर्राफा कारोबारियों का कहना है कि सबसे बड़ी दिक्कत भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के पोर्टल पर छह अंक की हॉलमार्क विशिष्ट पहचान संख्या (HUID) को अपलोड करने से जुड़ी है। प्रत्येक हॉलमार्क सोने के सामान पर यह संख्या होती है। सोने की हॉलमार्किंग बहुमूल्य धातु की शुद्धता का प्रमाण होता है। अभी तक यह स्वैच्छिक था।
गौरतलब है कि सरकार ने सोने की हॉलमार्किंग के पहले फेज के लिए 28 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के 256 जिलों का चयन किया है।
ऑल इंडिया जेम एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल (GJC) ने कहा कि सर्राफा कारोबारियों को क्षतिग्रस्त सोने के सामान के अलावा परख केंद्रों से हॉलमार्क वाले आभूषण पाने में देरी और सामानों पर आईडी सिस्टम प्रणाली लागू करने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
GJC के निदेशक दिनेश जैन ने कहा कि हम अनिवार्य हॉलमार्किंग के लिए तैयार हैं, लेकिन छोटे जौहरियों को कुछ समस्या हो रही है। यदि इस मसले का हल नहीं किया गया, तो उद्योग ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच जाएगा।
उन्होंने कहा कि एचयूआईडी सिस्टम काफी समय लेने वाली है जिसकी वजह से जांच और हॉलमार्किंग केंद्र (एएचसी) एक दिन में 150 से 200 से अधिक टुकड़ों की हॉलमार्किंग नहीं कर पा रहे हैं। जैन ने कहा कि एएचसी और जौहरी दोनों को एचयूआईडी अपलोड करना पड़ता है। यह काफी जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया है। इस वजह से एएचसी पर हॉलमार्किंग में देरी हो रही है।