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जन-धन खाताधारकों को भारी पड़ रही है महीने में 4 से ज्यादा बार निकासी, ये है वजह

देश में खुले तमाम जनधन खातों को निकासी की 4 बार की सीमा पार करते ही बैंकों की ओर से फ्रीज किया जा रहा है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Mon, 28 May 2018 03:03 PM (IST)Updated: Tue, 29 May 2018 10:52 AM (IST)
जन-धन खाताधारकों को भारी पड़ रही है महीने में 4 से ज्यादा बार निकासी, ये है वजह
जन-धन खाताधारकों को भारी पड़ रही है महीने में 4 से ज्यादा बार निकासी, ये है वजह

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बैंकिंग सेवा से वंचित लोगों को इसके दायरे में लाने के इरादे से खोले गए जन-धन खाते अब खाताधारकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। बैंकों के मौजूदा रवैये से अब हर जन-धन खाताधारक परेशान है। दरअसल इन खातों से चार से ज्यादा ट्रांजेक्शन होने की सूरत में उन्हें रेगुलर अकाउंट (नियमित खाता) में बदला जा रहा है। नियमित खाता होने का नुकसान यह है कि अगर अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस नहीं रखा गया तो बाकी ग्राहक की तरह इन खाता धारकों पर भी बैंक पेनल्टी लगाते हैं।

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क्या है मामला?

देश में खोले गए करोड़ों नो फ्रिल अकाउंट जिनमें प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत खोले गए खाते भी शामिल हैं, को निकासी की 4 बार की सीमा पार करते ही बैंकों की ओर से फ्रीज किया जा रहा है। आईआईटी बॉम्बे के एक प्रोफेसर की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक नो-फ्रिल खाताधारकों को एक महीने में चार निकासी की सीमा पार करने के बाद निकासी की स्थिति में पेनल्टी का सामना करना पड़ रहा है। कई बैंक ऐसे खातों में पांचवीं निकासी होते ही नो-फ्रिल खाते को नियमित खाते में बदल दे रहे हैं। यानी बैंकों की ओर से पांचवीं निकासी को बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट अकाउंट (बीएसबीडीए) को रेगुलर अकाउंट में बदलने के ट्रिगर के तौर पर लिया जा रहा है।

आरबीआई ने सेविंग प्रोडक्ट बीएसबीडीए के अंतर्गत अनगिनत बार जमा, महीने में चार बार निकासी, जीरो मिनिमम बैलेंस और सर्विस चार्ज न वसूला जाना अनिवार्य किया था। वित्तीय समावेशन योजना के हिस्से के रुप में आरबीआई ने यह स्कीम अगस्त 2012 में लॉन्च की थी। इस योजना को प्रोत्साहन तब मिला जब अगस्त 2014 में प्रधानमंत्री जनधन योजना को लॉन्च किया गया।


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