Petrol, Diesel को अगले 8-10 साल तक GST के दायरे में लाना मुमकिन नहींः सुशील मोदी
अगले आठ से दस साल तक पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाना मुमकिन नहीं है क्योंकि इससे राज्यों को सालाना दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होगा राज्यसभा में भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को यह बात कही।
नई दिल्ली, पीटीआइ। अगले आठ से दस साल तक पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाना मुमकिन नहीं है क्योंकि इससे राज्यों को सालाना दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होगा राज्यसभा में भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि कोई भी राज्य यह नुकसान उठाने के लिए तैयार नहीं हैं। वित्त विधेयक के समर्थन में बिहार के पूर्व वित्त मंत्री ने अपनी बात रखी। उन्होंने विपक्षी दलों को जीएसटी काउंसिल में इस बारे में बात रखने की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि किसी भी गैर-राजग सरकार के मुख्यमंत्री या वित्त मंत्री ने जीएसटी काउंसिल के किसी भी निर्णय का विरोध नहीं किया है।
सुशील मोदी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को हर साल पेट्रोलियम पदार्थों से पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होता है।
भाजपा सांसद का यह बयान काफी महत्व रखता है क्योंकि उन्होंने यह बात ऐसे समय में रखी है जब पिछले कई माह से पेट्रोल की कीमतें आसमान छू रही हैं और यहां तक कि कई राज्य में दाम 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गई हैं। इसके बाद कांग्रेस और कुछ अन्य दलों ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में कहा था कि उन्हें जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए जाने के सुझाव पर चर्चा करने में खुशी होगी।
सुशील मोदी ने कहा कि विपक्षी नेताओं के लिए बाहर में इस बारे में बयान देना काफी आसान है लेकिन जीएसटी काउंसिल की बैठक में कोई इस मुद्दे को नहीं उठाता है।
उन्होंने सवाल किया, ''पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए जाने का मुद्दा बार-बार उठाया जा रहा है। मैं लंबे समय तक जीएसटी से जुड़ा रहा हूं और सदन से यह जानना चाहता हूं कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में रखने के बाद राज्यों को होने वाले दो लाख करोड़ रुपये के राजस्व के नुकसान की भरपाई कौन करेगा।''
सुशील मोदी ने कहा, ''मैं सदन को यह बताना चाहता हूं कि अगले आठ से दस साल तक पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में रखना मुमकिन नहीं है क्योंकि कोई राज्य सरकार दो लाख करोड़ रुपये का राजस्व खोना नहीं चाहेगी, चाहे वह कांग्रेस की सरकार हो या किसी और की...''