Move to Jagran APP

नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल : मूडीज

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो वर्षो के दौरान लक्ष्य हासिल नहीं होने के बावजूद अगर पिछले पांच वर्षो की बात करें तो सौर और पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता में सालाना 20 फीसद का इजाफा हुआ है। इस रफ्तार से भी 1.75लाख मेगावाट क्षमता का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Tue, 09 Mar 2021 07:33 PM (IST)Updated: Wed, 10 Mar 2021 12:34 PM (IST)
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल : मूडीज
Renewable Energy Sources P C : Pixabay

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पिछले पांच साल अच्छे प्रदर्शन के बाद भी वर्ष 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (सौर, पवन व अन्य) से 1.75 लाख मेगावाट बिजली बनाने का सरकार का लक्ष्य हासिल होता नहीं दिख रहा है। सरकार को अगर यह लक्ष्य हासिल करना है तो देश के बिजली उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से पैदा होने वाली बिजली की हिस्सेदारी मौजूदा 10 फीसद से बढ़ा कर 16 से 18 फीसद पर लानी होगी।

loksabha election banner

यह बात प्रमुख रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत के ऊर्जा क्षेत्र पर जारी अपनी रिपोर्ट में कही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2019 और 2020 में भी नवीकरणीय ऊर्जा का निर्धारित लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका था।

मूडीज की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो वर्षो के दौरान लक्ष्य हासिल नहीं होने के बावजूद अगर पिछले पांच वर्षो की बात करें तो सौर और पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता में सालाना 20 फीसद का इजाफा हुआ है। हालांकि इस रफ्तार से भी 1.75 लाख मेगावाट क्षमता का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है।

मूडीज ने यह आकलन 11,462 मेगावाट क्षमता की 176 परियोजनाओं का अध्ययन करने के बाद किया है। इसमें कहा गया है कि पिछले दो वर्षो से 20 फीसद परियोजनाएं ऐसी हैं जो क्षमता के मुताबिक बिजली पैदा नहीं कर पा रही हैं। इसकी वजह से कंपनियों के मुनाफे में भी पांच फीसद तक की कमी हुई है।

केंद्र सरकार के आंकड़ों की बात करें तो 31 जनवरी, 2021 तक सात माध्यमों से देश की बिजली उत्पादन क्षमता 92,550.74 मेगावाट थी। इसमें पवन ऊर्जा से 38,683.65 मेगावाट है जबकि सौर ऊर्जा की क्षमता 34,561.33 मेगावाट है। छतों पर लगे सोलर पैनल से 4,234 मेगावाट बिजली बनाने की क्षमता है। छोटे हाइड्रो पावर से 4,758 मेगावाट और बायोमास से बिजली उत्पादन क्षमता 9,374 मेगावाट है।

जानकारों का मानना है कि देश में परंपरागत ऊर्जा की स्थापित क्षमता ही अभी मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। कोरोना की वजह से देश में बिजली की मांग जिस तरह से छह से आठ महीनों तक प्रभावित हुई है, उसका असर भी गैरपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों से जुड़ी बिजली परियोजनाओं पर पड़ा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.