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पॉलिसी धारकों को देनी होगी क्‍लेम स्‍टेटस की जानकारी, IRDAI ने बीमा कंपनियों को दिया आदेश

IRDAI ने कहा क्लेम करने के समय पॉलिसी होल्डर को अपने क्लेम की स्थिति जानने के लिए एक ट्रैकिंग सिस्टम उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। बीमा कंपनियों से 1 जुलाई से इस तरह की व्यवस्था को लागू करने के लिए कहा है।

By Harshit HarshEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 07:04 PM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 07:06 PM (IST)
पॉलिसी धारकों को देनी होगी क्‍लेम स्‍टेटस की जानकारी, IRDAI ने बीमा कंपनियों को दिया आदेश
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इंश्योरेंस कंपनियों को पॉ़लिसी होल्डर को उनके क्लेम सेटलमेंट के बारे में जानकारी देनी होगी। बीमा नियामक आईआरडीएआई (IRDAI) ने बुधवार को इसकी जानकारी दी। इसी के साथ यह भी कहा गया कि बीमा करने वालों को पॉलिसी होल्डर के लिए साफ और पारदर्शी संचार नीति को अपनाने की जरूरत है। क्लेम करने के समय पॉलिसी होल्डर को अपने क्लेम की स्थिति जानने के लिए एक ट्रैकिंग सिस्टम उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। आईआरडीआई ने बीमा कंपनियों से 1 जुलाई से इस तरह की व्यवस्था को लागू करने के लिए कहा है। 
 
निष्पक्ष और पारदर्शी क्लेम सेटलमेंट प्रोसेस को सुनिश्चित करने के लिए सभी बीमा कंपनियों को क्मेल सेटलमेंट की स्थिति के बारे में पॉलिसी धारकों को सूचना देनी होगी। 
 
आईआरडीएआई ने कहा कि स्वास्थ्य बीमा के मामले में जहां थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (TPA) को इसकी जिम्मेदारी दी गई है, वहां यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी बीमा कंपनियों की होगी कि क्लेम के स्टेट्स के बारे में पॉलिसी होल्डर या नॉमिनी को जानकारी मिल पाए। 
 
बीमा नियामक ने जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा और साधारण बीमा करने वाली कंपनियों से कहा कि उन्हें पॉलिसी जारी होने, बीमा प्रीमियम भुगतान और अऩ्य सुविधाओं के बारे में लेटर, ई-मेल, एसएमएस या अन्य किसी इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म के माध्यम से ग्राहकों को जानकारी देनी होगी। 
 
सर्कुलर में आगे कहा गया है कि स्वास्थ्य बीमा के मामले में जहां टीपीए स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में काम कर रहा है, ऐसे में बीमा कंपनी यह सुनिश्चित करेंगी कि सभी सुविधाएं जैसे आईडी कार्ड जारी करना आदि या तो थर्ड पार्टी के जरिए हो या फिर बीमा कंपनी स्वयं इस कार्य को पूरा करे। 
 
इसी के साथ बीमा कंपनियों को ग्राहकों को संक्षिप्त संदेश भेजने के अलावा जागरुकता बढ़ाने के लिए संदेश भेजने भी जरूरी होगा। बीमा कंपनियां को पढ़ने में आसान, समझने में सरल और आसान भाषा का उपयोग करना चाहिए। जहां भी संभव हो, जानकारी अंग्रेजी या हिंदी के अलावा उस क्षेत्र की स्थानीय भाषाओं में होनी चाहिए। बीमा कंपनियां इसे 1 जुलाई, 2019 से लागू करेंगी। 

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