Franklin Templeton मामला सामने आने के बाद बैंक जमा की ओर बढ़ रहे निवेशक
खुदरा निवेशक लंबे समय से टैक्स-फ्रेंडली डेब्ट म्यूचुअल फंड स्कीमों में इसलिए आते रहे हैं कि वे बैंक डिपॉजिट की तरह सुरक्षित हैं
नई दिल्ली, रायटर्स। हाई-यील्ड डेब्ट में निवेश करने वाले कुछ हाई-प्रोफाइल घरेलू फंड्स के बंद होने से परेशान निवेशक अपनी नकदी को बैंक में जमा कर रहे हैं। बैंकरों का कहना है कि पिछले हफ्ते निश्चित आय में भारत के सबसे प्रमुख म्यूचुअल फंड में से एक फ्रैंकलिन टेम्पलटन के छह क्रेडिट फंड्स के बंद करने की घोषणा के बाद बैंकों को अपनी पारंपरिक जमा योजनाओं में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है।
कोरोना वायरस महामारी से पस्त बाजारों में नकदी की कमी के कारण टेम्पलटन को भारी नुकसान हुआ है।मालूम हो कि निवेशकों ने सरकारी हस्तक्षेप की मांग की और उन्हें बैंक के पारंपरिक जमा योजनाओं में भारी वृद्धि देखने को मिली जबकि डेब्ट म्यूचुअल फंड में रिकॉर्ड निकासी हुई। इंडसइंड बैंक के सीईओ सुमंत कथपालिया ने कहा, 'बैंक डिपॉजिट में तेजी आई है, क्योंकि म्यूचुअल फंड से मिलने वाली रकम भी बैंकों में आ रही है।'
बैंकों में नकदी प्रवाह बढ़ने से बैंकों ने जमा दरों में कटौती की है। कमर्शियल बैंकों के वेटेड अवेरेज जमा दर फरवरी 2019 से 45 बेसिस पॉइंट नीचे है। फिर भी 10 अप्रैल को समाप्त हुए दो सप्ताह में बैंक जमाओं में 9.93% की वृद्धि हुई, जबकि 7.93% की वृद्धि दो सप्ताह पहले हुई थी।
हालांकि, टेम्पलटन की खबर सामने आने के बाद जमा में बढ़ोतरी की बेहतर जानकारी अगले महीने पता चल पाएगी। बैंक एक कार्यकारी निदेशक ने कहा कि आने वाले महीनों में विकास दर दोहरे अंकों में कम रहने की उम्मीद है। डेब्ट में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड्स में पिछले महीने करीब 1.95 लाख करोड़ रुपये (25.5 बिलियन डॉलर) की निकासी हुई।
खुदरा निवेशक लंबे समय से टैक्स-फ्रेंडली डेब्ट म्यूचुअल फंड स्कीमों में इसलिए आते रहे हैं कि वे बैंक डिपॉजिट की तरह सुरक्षित हैं और डिफॉल्ट के मामले में संभावित क्रेडिट रिस्क के लिए कम चिंता है।