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Investment Tips : निवेश के लिए इंटरनेशनल फंड्स भी हैं अच्छे, बस संभलकर लगाएं पैसा

Investment Tips फरवरी की शुरुआत से लेकर सिर्फ चार माह में भारतीय म्यूचुअल फंड कंपनियों ने आठ इंटरनेशनल फंड लांच किए हैं। वास्तव में इनमें से चार फंड अकेले मई में लांच किए गए हैं या प्रक्रिया में हैं।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 09:46 AM (IST)Updated: Mon, 31 May 2021 06:42 AM (IST)
Investment Tips : निवेश के लिए इंटरनेशनल फंड्स भी हैं अच्छे, बस संभलकर लगाएं पैसा
Investment Tips ( P C : Pixabay )

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। पिछले पांच महीनों में 10 इंटरनेशनल फंड्स लांच हुए हैं, जिनमें से चार अकेले मई में लाए गए हैं या प्रक्रिया में हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि घरेलू फंड्स में निवेश से टैक्स के मोर्चे पर बहुत राहत नहीं मिल रही है। मगर विदेशी फंड्स में निवेश के लिए भी उतनी ही सतर्कता की जरूरत है जितनी घरेलू फंड्स में।

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फरवरी की शुरुआत से लेकर सिर्फ चार माह में भारतीय म्यूचुअल फंड कंपनियों ने आठ इंटरनेशनल फंड लांच किए हैं। वास्तव में इनमें से चार फंड अकेले मई में लांच किए गए हैं या प्रक्रिया में हैं। अगर आप पिछले वर्ष आखिरी सप्ताह में लांच किए दो फंड को जोड़ लें तो पांच माह में 10 इंटरनेशनल फंड हो जाते हैं। इस कैटेगरी को कानूनी अनुमति मिलने के बाद मार्च, 2004 में इस तरह का पहला फंड लांच होने के बाद इस समय सबसे तेज गति से इंटरनेशनल फंड लांच हो रहे हैं। सवाल उठता है कि नए इंटरनेशनल फंड लांच करने के लिए अचानक इतना उत्साह क्यों दिख रहा है?

मौजूदा दौर में नए फंड बेचना आसान और मुनाफे वाला हो गया है। हालांकि दो साल पहले पूंजी बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड स्कीम की सभी कैटेगरी को परिभाषित कर दिया था। लार्ज कैप और मिडकैप जैसी मुख्य धारा की सभी कैटेगरीज के लिए स्कीम एक फंड तक सीमित थी। हालांकि, जिन कैटेगरीज में कई तरह के अंतर संभव हैं, वहां कंपनियां जितने चाहें उतने फंड लांच कर सकती हैं। लेकिन हर एक फंड की थीम या फोकस अलग होना चाहिए। इसके अलावा जिस तरह से महामारी के दौरान कम से कम अब तक ग्लोबल इक्विटी मार्केट मजबूत रहा है इससे इंटरनेशनल फंड लांच करने के लिए प्रोत्साहन मिला है।

ऐसे में आपको यह जानने के लिए कि ऐसा क्यों हो रहा है, सिर्फ फंड का नाम पढ़ना होगा। फंड्स के नाम ही बताते हैं कि वे किस सेक्टर के लिए हैं। मसलन एक्सिस ग्लोबल इनोवेशन, एक्सिस ग्रेटर चाइना इक्विटी, बीएनपी पारिबा अक्वा, एचएसबीसी ग्लोबल इक्विटी क्लाइमेट चेंज, इंवेस्को ग्लोबल कंज्यूमर ट्रेंड्स, कोटक इंटरनेशनल आरईआइटी, कोटक नास्डैक 100, मीरे एनवाईएसई फैंग, एसबीआइ इंटरनेशनल एक्सेस- यूएस इक्विटी। इनमें से कुछ इंटरनेशनल फंड एक सामान्य डायवर्सिफाइड फंड के काफी करीब हैं।

म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त आप फैसले लेने के लिए फंड मैनेजर को भुगतान करते हैं, जिसका यह काम है कि वह बेहतर फंड्स का पता लगाए। आप फंड्स में निवेश करते-करते ही उसकी अच्छाई और बुराई सीख पाते हैं। हालांकि, जब आप किसी खास फंड के लालच में आ जाते हैं, तो निवेश से जुड़े फैसले खुद करते हैं और फंड मैनेजर के हाथ बांध देते हैं। अगर आपमें निवेश से जुड़े फैसले करने की समझ है, तो ऐसा करना ठीक है। लेकिन अगर आप किसी की मार्केटिंग रणनीति में आकर ऐसा कर रहे हैं तो हो सकता है कि आपके लिए यह ठीक नहीं हो।

हर भारतीय इक्विटी निवेशक को अपने इक्विटी पोर्टफोलियो का कुछ हिस्सा विदेशी इक्विटी में निवेश करना चाहिए। घरेलू फंड में निवेश से टैक्स के मोर्चे पर मिलने वाला फायदा कुछ खास नहीं है। हालांकि, विदेशी फंड में निवेश के वक्त भी निवेश से जुड़ी बुनियादी बातों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। विदेशी फंड्स में निवेश के लिए भी उतनी ही सतर्कता की जरूरत है जितनी घरेलू फंड्स में।

(लेखक वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन डॉट कॉम के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)


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