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इंफोसिस को मिला नया सीईओ, सलिल एस पारेख 5 साल तक संभालेंगे कमान

दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस को काफी मशक्कत के बाद नया सीईओ मिल गया है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sat, 02 Dec 2017 04:49 PM (IST)Updated: Sun, 03 Dec 2017 01:11 PM (IST)
इंफोसिस को मिला नया सीईओ, सलिल एस पारेख 5 साल तक संभालेंगे कमान
इंफोसिस को मिला नया सीईओ, सलिल एस पारेख 5 साल तक संभालेंगे कमान

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों में शुमार इंफोसिस को नया सीईओ मिल गया है। सलिल एस पारेख को इंफोसिस का नया चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) नियुक्त कर दिया गया है। सलिल सिर्फ सीईओ ही नहीं होंगे बल्कि वो कंपनी में मैनेजिंग डॉयरेक्टर का पद भी संभालेंगे। उनके पास ये दोनों पद अगले पांच सालों तक रहेंगे।

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हालांकि पारेख की यह नियुक्ति 2 जनवरी 2018 से ही प्रभावी होगी। आपको बता दें कि सिक्का के इस्तीफा दे देने के बाद यूबी प्रवीण राव को बतौर अंतरिम सीईओ और एमडी नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल 2 जनवरी 2018 को खत्म हो रहा है। इनका कार्यकाल खत्म होते ही पारेख यह जिम्मेदारी संभाल लेंगे।

इंफोसिस ने अपनी नियामकीय फाइलिंग (स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग) में यह जानकारी दी है कि यह नियुक्ति उस समिति के नामांकन और सिफारिश के आधार पर की गई है जिसका गठन नए सीईओ की तलाश करने के लिए किया गया था। आपको बता दें कि इस समिति का गठन नंदन नीलेकणि के इंफोसिस प्रमुख बनने के बाद किया गया था।

पारेख की नियुक्ति पर क्या बोले नारायणमूर्ति:

इस बीच, कंपनी के सह संस्थापक एन. आर. नारायणमूर्ति ने पारेख की नियुक्ति पर खुशी जताई है। मूर्ति ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि इन्फोसिस ने सलिल पारेख को सीईओ नियुक्त किया है। मेरी शुभकामनाएं उनके साथ हैं।’ इन्फोसिस ने दूसरी बार किसी बाहरी व्यक्ति को सीईओ पद की जिम्मेदारी सौंपी है। इससे पहले सीईओ रहे सिक्का 2014 में जर्मन मल्टीनेशनल सॉफ्टवेयर कंपनी एसएपी से आए थे। सिक्का से पहले इन्फोसिस में सीईओ पद की जिम्मेदारी इसके संस्थापकों में से ही किसी के हाथ में रही। आज की तारीख में इन्फोसिस 10 अरब डॉलर (करीब 645 अरब रुपये) से ज्यादा के नेटवर्थ वाली कंपनी है।

पारेख की नियुक्ति पर क्या बोले नीलेकणि: पारेख की नियुक्ति पर टिप्पणी करते हुए इन्फोसिस बोर्ड के चेयरमैन नंदन नीलेकणी ने कहा कि सलिल को सीईओ एवं एमडी के रूप में चुनते हुए कंपनी को खुशी हो रही है। कंपनी बोर्ड का मानना है कि पारेख उद्योग में इस परिवर्तनशील समय में इंफोसिस का नेतृत्व करने के लिहाज से एक उचित व्यक्ति हैं। आपको बता दें कि नीलेकणि आन से पहले इंफोसिस कई तरह की मुश्किलों का सामना कर रही थी।

पारेख के पास कितना अनुभव: पारेख में आईटी उद्योग में तीन दशकों से अधिक काम करने का अंतर्राष्ट्रीय अनुभव हैं। इसके अलावा व्यापार के बेहतर संचालन और अधिग्रहण के सफल प्रबंधन का भी उनके पास एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है। पारेख फ्रांसीसी आईटी सेवा प्रदाता कंपनी कैपजेमिनी में समूह कार्यकारी बोर्ड के सदस्य थे। वो साल 2000 में कैपजेमिनी से जुड़े थे। उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की है। साथ ही उनके पास भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी की डिग्री भी है।

चर्चा में रहा था सिक्का विवाद:

विशाल सिक्का ने करीब सालभर की तनातनी के बाद पद से इस्तीफा दिया था। नारायणमूर्ति और कंपनी के कुछ पूर्व अधिकारियों ने सिक्का के कामकाज में कॉरपोरेट गवर्नेस से जुड़ी गंभीर खामियों का आरोप लगाया था। उन्होंने पूर्व सीएफओ और कुछ अन्य लोगों के ऊंचे वेतन पर भी सवाल उठाया था। सिक्का पर सबसे बड़ा आरोप इजरायली कंपनी पनाया के अधिग्रहण के समय लगा। एक रिपोर्ट में इस सौदे में कमियों और उनकी अनदेखी की बातें कही गई थी। मूर्ति समेत कुछ अन्य संस्थापकों ने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए सिक्का पर निशाना साधा था। लंबे आरोप-प्रत्यारोप के बाद अगस्त में सिक्का ने अचानक इस्तीफे की घोषणा कर दी थी।


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