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महंगाई घटी, लेकिन ब्याज दर नहीं बदली

होम लोन व ऑटो लोन जैसे कर्ज के लिए ब्याज दरें तय करने की मौजूदा व्यवस्था को ज्यादा पारदर्शी बनाने का भी कदम उठाया है।

By NiteshEdited By: Published: Thu, 06 Dec 2018 10:15 AM (IST)Updated: Thu, 06 Dec 2018 10:15 AM (IST)
महंगाई घटी, लेकिन ब्याज दर नहीं बदली

नई दिल्ली (जयप्रकाश रंजन)। भारतीय रिजर्व बैंक ने माना है कि देश में महंगाई कमोबेश काबू में है और आगे भी इसमें नरमी रहने के ही आसार हैं। इसके बावजूद उसने कर्ज की ब्याज दरें सस्ता करने से फिलहाल इन्कार कर दिया है। मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए आरबीआइ गवर्नर उर्जित पटेल ने रेपो रेट को मौजूदा 6.5 फीसद पर ही बरकरार रखने का फैसला किया है। हालांकि अगर महंगाई में यूं ही नरमी बनी रहेगी तो आने वाले दिनों में होम लोन व ऑटो लोन के सस्ता होने का रास्ता निकल सकता है। साथ ही सिस्टम में ज्यादा से ज्यादा फंड उपलब्ध कराने को लेकर आरबीआइ ने कई उपाय किए हैं। होम लोन व ऑटो लोन जैसे कर्ज के लिए ब्याज दरें तय करने की मौजूदा व्यवस्था को ज्यादा पारदर्शी बनाने का भी कदम उठाया है।

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महंगाई के लिए आरबीआइ की सोच का पता इस तथ्य से चलता है कि उसने साल भर के लिए महंगाई दर के लक्ष्य को घटा कर 2.8-3.2 फीसद कर दिया है। यह केंद्रीय बैंक की तरफ से पहले से तय चार फीसद की दर से भी नीचे है। दो महीने पहले यानी अक्टूबर में मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए महंगाई दर के 3.9 से 4.5 फीसद रहने की बात की गई थी। लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में 30 फीसद की गिरावट आने से हालात बदल गए हैं। इसके बावजूद मौद्रिक नीति तय करने के लिए गठित छह सदस्यीय समिति में पांच सदस्यों ने ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर ही बनाये रखने का फैसला किया है। इससे रेपो रेट को 6.5 फीसद पर ही रखा गया है। वैसे आरबीआइ गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा है कि आने वाले दो महीनों के दौरान अगर महंगाई को लेकर जो अभी आशंकाएं हैं, वे खत्म हो जाती हैं तो ब्याज दरों को लेकर विचार बदले जा सकते हैं। देश की आर्थिक विकास दर के बारे में केंद्रीय बैंक का मानना है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2018-19 में यह 7.4 फीसद रहेगी। केंद्रीय बैंक मानता है कि दूसरी छमाही में देश की आर्थिक विकास दर में तेजी आएगी।

कर्ज की ब्याज दर निर्धारण में पारदर्शिता: ब्याज दरों को लेकर सीधे तौर पर आरबीआइ ने कोई राहत भले ही न दी हो, लेकिन उसने उन ब्याज दरों को ज्यादा पारदर्शी बनाने का रास्ता खोल दिया है जिन पर बैंक होम लोन और ऑटो लोन की दरें तय करते हैं। आरबीआइ ने कहा है कि एक अप्रैल, 2019 से फ्लोटिंग रेट वाले सभी खुदरा लोन (होम, ऑटो व अन्य पर्सनल लोन) या छोटे व मझोले औद्योगिक इकाइयों को दिए जाने वाले कर्ज की दरें तय करने के लिए बैंकों को चार बाहरी बेंचमार्क में से किसी एक का चुनाव करना होगा।

ये बेंचमार्क है आरबीआइ की रेपो रेट, 91 या 182 दिनों की परिपक्वता अवधि के सरकारी बांड्स पर रिटर्न की दर या कोई ऐसा बेंचमार्क, जिसका प्रस्ताव फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने सुझाया हो। माना जा रहा है कि इससे देश में रिटेल लोन की दरें वैश्विक स्तर से ज्यादा करीब होंगी। जानकार यह भी मान रहे हैं कि अगर मौजूदा परिदृश्य में देखा जाए तो इससे होम लोन की मौजूदा दरों में कुछ नरमी भी आ सकती है। यह व्यवस्था सभी बैंकों पर समान तौर पर लागू होगी।


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