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महंगाई फिर बढ़ी, सस्ते कर्ज की उम्मीद टूटी

चार महीनों के बाद महंगाई ने एक बार फिर खतरनाक तेवर दिखाए हैं। चावल, प्याज सहित तमाम खाद्य उत्पादों की कीमतों में इजाफे की वजह से जून, 2013 में थोक कीमत आधारित महंगाई दर बढ़ कर 4.86 फीसद हो गई है। इससे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद न सिर्फ खत्म हो गई है, बल्कि जानकारों का कहना है कि अब ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना है। रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने इस बात के संकेत भी दे दिए हैं।

By Edited By: Published: Mon, 15 Jul 2013 04:51 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
महंगाई फिर बढ़ी, सस्ते कर्ज की उम्मीद टूटी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चार महीनों के बाद महंगाई ने एक बार फिर खतरनाक तेवर दिखाए हैं। चावल, प्याज सहित तमाम खाद्य उत्पादों की कीमतों में इजाफे की वजह से जून, 2013 में थोक कीमत आधारित महंगाई दर बढ़ कर 4.86 फीसद हो गई है। इससे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद न सिर्फ खत्म हो गई है, बल्कि जानकारों का कहना है कि अब ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना है। रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने इस बात के संकेत भी दे दिए हैं।

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सरकार की तरफ से सोमवार को थोक कीमतों पर आधारित महंगाई के जो आंकड़े जारी किए गए हैं वे आर्थिक सुस्ती के और गहराने के संकेत दे रहे हैं। मई में यह दर 4.7 फीसद थी। जून में चावल, गेहूं सहित तमाम मोटे अनाजों की थोक कीमतें 13 से 19 फीसद के बीच बढ़ी हैं। वहीं, सब्जियों के दाम में 16.47 फीसद और प्याज में 114 फीसद की वृद्धि से महंगाई की दर को और हवा मिली है। फरवरी, 2013 से ही महंगाई में आ रही नरमी को देखते हुए सबकी नजर जून के आंकड़ों पर थी।

रिजर्व बैंक 30 जुलाई को चालू वित्त वर्ष की मौद्रिक नीति की पहली तिमाही समीक्षा पेश करेगा। आरबीआइ गर्वनर डी सुब्बाराव ने साफ तौर पर संकेत दिए कि ब्याज दरों में कटौती की संभावना क्षीण है। सोमवार को उन्होंने कहा कि इस महीने के अंत में जब मौद्रिक नीति की समीक्षा की जाएगी तो निश्चित तौर पर महंगाई के आंकड़ों को ध्यान में रखा जाएगा। सनद रहे कि औद्योगिक सुस्ती से त्रस्त सरकार और उद्योग जगत महंगाई में कमी की आस लगाए बैठे थे ताकि रिजर्व बैंक ब्याज दरों को कम कर सके।

जानकारों का भी कहना है कि महंगाई की नई तस्वीर देखने के बाद अब तो ब्याज दरों के बढ़ने का खतरा है। आर्थिक शोध एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बेहतर होगा कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं करे लेकिन कर्ज की दरों में थोड़ी बहुत वृद्धि की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। बहुराष्ट्रीय ब्रोकिंग कंपनी नोमुरा ने कहा है कि रुपये की कीमत में लगातार गिरावट, कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और अन्य कई जिंसों के दाम में इजाफा होने की वजह से आने वाले दिनों में महंगाई के बढ़ने का खतरा है। ऐसे में ब्याज दरें घटने की संभावना नहीं दिखती।

वैसे, जानकारों को मार्च, 2014 तक ब्याज दरों में आधे से पौना फीसद तक कटौती की उम्मीद अब भी है। बार्कलेज ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि विकास दर की सुस्त रफ्तार को देखते हुए आने वाले महीनों में मौद्रिक नीति में नरमी की गुंजाइश बनी रहेगी। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के मुताबिक कमजोर रुपये और महंगाई में वृद्धि ने भले ही फिलहाल आरबीआइ के हाथ बांध दिए हैं मगर आगे में इसमें सुधार से ब्याज दरों में कमी आएगी।

उद्योग जगत की तरफ से भी इस आंकड़े को बेहद निराशाजनक बताते हुए सरकार से तेजी से कदम उठाने का आग्रह किया गया है। सीआइआइ और फिक्की ने आपूर्ति पक्ष को सुधारने के लिए सरकार को कृषि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश बढ़ाने की सलाह दी है।

उत्पाद---दाम में वृद्धि (फीसद में)

1. प्याज------114

2. अनाज------17.18

3. चावल-----19.11

4. सब्जियां----16.47

5. फाइबर-----14.78

6.अंडा, मांस---12.23

7. चीनी-------07.21

8. डीजल--22.78


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