आयात से तौबा करेगी भारतीय रेल, घरेलू कल-पुर्जों से दौड़ेगी
Indian Railway ने बृहस्पतिवार को रेलवे सिग्नलिंग क्षेत्र में काम करने वाली चीन की एक कंपनी का कांट्रैक्ट उसके खराब प्रदर्शन के आधार पर रद्द कर दिया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारतीय रेल 'मेड इन इंडिया' कल-पुर्जों पर दौड़ेंगी। रेलवे की योजना आयातित उपकरणों से तौबा करने और घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने की है। भारतीय रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने दो टूक कहा है 'उनकी योजना आने वाले दिनों में रेलवे में आयातित उपकरणों की जरूरत को शून्य करने की है।' यादव ने जोर देकर कहा कि भारतीय रेलवे दिनों-दिन सक्षम होता जा रहा है। भारतीय रेलवे ने अपने यहां निर्मित लोको और रेल डिब्बों का निर्यात किया है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान एक चीनी कंपनी के रेलवे में कांट्रैक्ट को खत्म करने के सवाल के संदर्भ में पूछे सवाल के जवाब में यादव ने कहा रेलवे में ज्यादातर कांट्रैक्ट घरेलू कंपनियों को ही दिए जाते हैं, जिसे जारी रखा जाएगा।
क्या चीनी कंपनियों को रेलवे की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा के सवाल पर यादव ने कहा 'रेलवे की परियोजनाओं में केवल घरेलू कंपनियों को ही हिस्सा लेने की अनुमति है।'
बोर्ड चेयरमैन ने कहा कि पिछले दो-तीन साल में रेलवे ने विदेशों से उपकरणों के आयात को घटाने के लिए कई उपाय किये हैं। हमने मेक इन इंडिया की नीति अपनाई है। उदाहरण के तौर पर सिग्नल प्रणाली में रेलवे ने कम-से-कम 70 फीसद उपकरण मेक इन इंडिया वाले होना अनिवार्य कर दिया गया है। हमारी कोशिश है कि रेलवे आने वाले दिनों में निर्यातक बन जाएगा।
रेलवे ने बृहस्पतिवार को रेलवे सिग्नलिंग क्षेत्र में काम करने वाली चीन की एक कंपनी का कांट्रैक्ट उसके खराब प्रदर्शन के आधार पर रद्द कर दिया। कंपनी को कानपुर से मुगलसराय के बीच 473 किमी में काम के लिए 471 करोड़ रुपये का कांट्रैक्ट मिला था। कंपनी ने चार सालों में केवल 20 फीसद काम कर सका है। आने वाले दिनों में रेलवे की किसी परियोजना में चीनी कंपनियों के हिस्सा लेने की संभावना नहीं के बराबर है।