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उद्योगों में आई सुस्ती से अर्थव्यवस्था पर खतरा

औद्योगिक क्षेत्र में सुस्ती वैसे तो पिछले एक वर्ष से है लेकिन मई, 2013 में सिर्फ दो फीसद की वृद्धि की खबर से इंडिया इंक बेहद परेशान है। देश के तमाम उद्योग संगठन औद्योगिक उत्पादन की ताजा वृद्धि दर रिपोर्ट से हलकान हैं। इनका कहना है कि आने वाले कुछ और समय तक अब सुस्ती के बने रहने का खतरा है जो पूरी अर्थव्यवस्था

By Edited By: Published: Thu, 13 Jun 2013 10:08 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
उद्योगों में आई सुस्ती से अर्थव्यवस्था पर खतरा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। औद्योगिक क्षेत्र में सुस्ती वैसे तो पिछले एक वर्ष से है लेकिन मई, 2013 में सिर्फ दो फीसद की वृद्धि की खबर से इंडिया इंक बेहद परेशान है। देश के तमाम उद्योग संगठन औद्योगिक उत्पादन की ताजा वृद्धि दर रिपोर्ट से हलकान हैं। इनका कहना है कि आने वाले कुछ और समय तक अब सुस्ती के बने रहने का खतरा है जो पूरी अर्थव्यवस्था के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।

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पढ़ें: औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार धीमी

एसोचैम का कहना है कि अप्रैल-मई, 2012 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर महज 1.1 फीसद रही थी। इस लिहाज से हमें उम्मीद थी कि आधार कम होने की वजह से इस बार औद्योगिक वृद्धि दर में तेजी आएगी। मगर यह वृद्धि दर दो फीसद पर सीमित हो गई है जो बताता है कि अर्थव्यवस्था की समस्या गहरी है। खास तौर पर रुपये की कीमत और 9.3 फीसद की खुदरा महंगाई की दर को देखने से काफी निराशाजनक तस्वीर बनती है।

सीआइआइ ने कहा है कि अभी तक सरकार की तरफ से उठाए जाने वाले किसी कदम का फायदा नहीं हुआ है जो चिंताजनक है। सरकार को निवेश बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। निवेश पर मंत्रिमंडलीय समिति को जल्द फैसले करने चाहिए ताकि परियोजनाओं पर काम तेजी से शुरू हो सके। फिक्की ने भी कहा है कि यह ऐतिहासिक औद्योगिक मंदी से बेहद चिंताजनक है।

फिक्की ने खनन और बिजली क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने को कहा है ताकि इससे जुड़े अन्य सभी उद्योगों पर सकारात्मक असर पड़े। एसबीआइ चेयरमैन प्रतीप चौधरी का कहना है कि नीति निर्माताओं के लिए यह जागने का समय है, ताकि हालात में सुधार के लिए तत्काल सकारात्मक कदम उठाए जा सकें।


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