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भारत पर भारी पड़ेगा ईरान-सऊदी अरब विवाद

खाड़ी में जब भी दो देशों के बीच तनाव फैलता है तो वहां के विभिन्न देशों में काम करने वाले 80 लाख भारतीयों के जीवन पर असर पड़ने का खतरा उत्पन्न हो जाता है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sat, 11 Nov 2017 12:27 PM (IST)Updated: Sat, 11 Nov 2017 12:44 PM (IST)
भारत पर भारी पड़ेगा ईरान-सऊदी अरब विवाद
भारत पर भारी पड़ेगा ईरान-सऊदी अरब विवाद

नई दिल्ली (जेएनएन)। सऊदी अरब और ईरान बिल्कुल आमने सामने हैं। बुधवार को खाड़ी देशों के एक मजबूत संगठन अरब लीग की तरफ से परोक्ष तौर पर पूरे विवाद के लिए ईरान को दोषी ठहराने के बाद माना जा रहा है कि आगे कुछ भी हो सकता है। अगर सऊदी अरब और ईरान के बीच बढ़ रहा तनाव युद्ध का रूप लेता है तो यह सिर्फ कूटनीतिक तौर पर ही भारत के लिए चुनौती नहीं होगी बल्कि इसका आर्थिक खामियाजा भी भारी होगा। इस हालात का असर कच्चे तेल (क्रूड) की कीमतों पर पहले से ही दिख रहा है, लेकिन भारत की असल चिंता खाड़ी देशों में काम करने वाले 80 लाख भारतीयों की है। यही वजह है कि भारत पूरे हालात पर नजर रखे हुए है और उम्मीद कर रहा है कि दोनों पक्ष आपसी समझबूझ से इसका समाधान निकालेंगे।

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क्रूड से कोहराम: भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा व दिशा बहुत हद तक क्रूड से तय होती है क्योंकि हम अपनी जरूरत का 82 फीसद आयात करते हैं। दूसरी तरफ, सऊदी अरब और ईरान न सिर्फ दुनिया के दो सबसे बड़े तेल उत्पादक देश हैं बल्कि भारत अपनी जरूरत का लगभग एक तिहाई इन दोनों से ही खरीदता है। इन देशों के विवाद के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत में तेजी का रुख है। बेंट क्रूड दो वर्षो के उच्चतम स्तर 63 डॉलर प्रति बैरल पर है। इसका असर यह हुआ है कि उत्पाद शुल्क में दो रुपये की कटौती के बावजूद पिछले एक महीने भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 1.50 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो चुकी है।

भारतीय भी होंगे प्रभावित: खाड़ी में जब भी दो देशों के बीच तनाव फैलता है तो वहां के विभिन्न देशों में काम करने वाले 80 लाख भारतीयों के जीवन पर असर पड़ने का खतरा उत्पन्न हो जाता है। ये भारतीय सालाना अमूमन 40 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा भेजते हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था में मदद करती है। देखा जा चुका है कि खाड़ी देशों में युद्ध होता है तो भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए सरकार को बड़ा अभियान चलाना पड़ता है।


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