पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए अगले 5 सालों तक 9 फीसद की विकास दर जरूरी
वित्तीय सेवा सलाहकार एजेंसी ईवाई ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि सरकार को यह लक्ष्य पाने के लिए निवेश की दर को भी 38 फीसद तक ले जानी होगी।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पांच ट्रिलियन यानी पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए देश को अगले पांच वर्षो तक सालाना नौ फीसद की विकास दर हासिल करनी होगी। वित्तीय सेवा सलाहकार एजेंसी ईवाई ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि सरकार को यह लक्ष्य पाने के लिए निवेश की दर को भी 38 फीसद तक ले जानी होगी। सरकार का इरादा अगले पांच वर्षो में अर्थव्यवस्था को पांच लाख करोड़ डॉलर के आकार तक पहुंचाने का है।रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर सात फीसद रहने का अनुमान है। ऐसा होने पर इस अवधि में अर्थव्यवस्था का आकार तीन लाख करोड़ डॉलर का हो जाएगा। बीते वर्ष यह 2.7 लाख करोड़ डॉलर था।
ईवाई के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-25 की समाप्ति पर पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए हर साल नौ फीसद की विकास दर हासिल करनी होगी। एजेंसी ने विकास दर के इस लक्ष्य के साथ प्रत्येक वित्त वर्ष के लिए अर्थव्यवस्था के आकार का अनुमान भी लगाया है। ईवाई का मानना है कि यदि प्रत्येक वर्ष नौ फीसद की विकास दर हासिल होती है तो वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था का आकार 3.3 लाख करोड़ डॉलर, 2021-22 में 3.6 लाख करोड़ डॉलर, 2022-23 में 4.1 लाख करोड़ डॉलर, 2023-24 में 4.5 लाख करोड़ डॉलर और 2024-25 में पांच लाख करोड़ डॉलर का हो जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के महंगाई दर लक्ष्य के मुताबिक अगर चार फीसद की दर को आधार माना जाए तो साल 2024-25 के अंत तक पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए प्रति वर्ष कम से कम नौ फीसद की विकास दर प्राप्त करनी होगी। डॉलर के मुकाबले रुपये की सालाना औसत विनिमय दर में दो फीसद की कमी के आधार पर मौजूदा कीमतों पर यह विकास दर 13 फीसद बैठेगी।’
ब्रिटेन के वित्तीय सलाहकार समूह अर्नेस्ट एंड यंग की भारतीय इकाई ईवाई ने कहा है कि अपेक्षित विकास दर पाने के लिए अर्थव्यवस्था में निवेश की दर में भी इजाफा करना होगा। वित्त वर्ष 2018-19 में निवेश की दर 31.3 फीसद रही है। इस लिहाज से तो 6.8 फीसद की विकास दर ही हासिल की जा सकती है। निवेशित पूंजी और उत्पादन का अनुपात 4:6 का रहा है। क्षमता के कम इस्तेमाल के लिहाज से यह काफी अधिक है।
भारत में अभी तक निवेश की सर्वाधिक दर 39.6 फीसद वर्ष 2012 में रही है। ईवाइ के मुताबिक भारत के मुकाबले चीन की बचत व निवेश की दर कई वर्षो से 45 फीसद के आसपास बनी हुई है। देश में कुल निवेश से तात्पर्य सरकारी निवेश, घरेलू निवेश और निजी कंपनियों के निवेश से है। अगर वित्त वर्ष 2021 में नौ फीसद की विकास दर हासिल करनी है तो भारत को निवेश की दर को 38 फीसद तक पहुंचाना होगा।
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