Move to Jagran APP

देश के राजकोषीय घाटे के मौजूदा वित्त वर्ष में GDP के 7 फीसद पर पहुंच जाने की आशंका: Brickwork Ratings

Fiscal Deficit राजकोषीय घाटा मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बजटीय लक्ष्य के 83.2 फीसद पर पहुंच गया है। PC Pexels

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 05:59 PM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 08:08 AM (IST)
देश के राजकोषीय घाटे के मौजूदा वित्त वर्ष में GDP के 7 फीसद पर पहुंच जाने की आशंका: Brickwork Ratings
देश के राजकोषीय घाटे के मौजूदा वित्त वर्ष में GDP के 7 फीसद पर पहुंच जाने की आशंका: Brickwork Ratings

नई दिल्ली, पीटीआइ। मौजूदा वित्त वर्ष में देश के राजकोषीय घाटे के जीडीपी के सात फीसद पर पहुंचने का अनुमान है। ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी और इसके संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित रहीं। इसके फलस्वरूप राजस्व संग्रह में भारी कमी आई है, जिससे राजकोषीय घाटे के बढ़ने की आशंका है। गौरतलब है कि बजट में राजकोषीय घाटे के जीडीपी के 3.5 फीसद पर रहने का अनुमान लगाया गया था।

loksabha election banner

रिपोर्ट में बताया गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कोरोना संकट के चलते राजस्व संग्रह कम रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में केंद्र सरकार का राजस्व संग्रह पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले काफी कम रहा है। महालेखा नियंत्रक के आंकड़े से यह पता चला है। आयकर (व्यक्तिगत और कंपनी कर) से प्राप्त राजस्व आलोच्य तिमाही में 30.5 फीसद और जीएसटी करीब 34 फीसद कम रहा है। 

रिपोर्ट के अनुसार, राजकोषीय घाटा मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बजटीय लक्ष्य के 83.2 फीसद पर पहुंच गया है। एजेंसी का मानना है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही से अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार होने की उम्मीद है। एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा,'कारोबारी गतिविधियों में सुधार के शुरुआती संकेत को देखते हुए, हमारा अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के आखिर तक राजस्व संग्रह महामारी के पहले के स्तर पर पहुंच जाएगा।'

रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि त्योहारों के आने पर डिमांड बढ़ेगी, जिससे स्थिति में सुधार आएगा। वहीं, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि यदि अर्थव्यवस्था में संकुचन की स्थिति लंबे समय तक रहती है, तो सरकार को बजटीय व्यय को पूरा करने के लिए कोष की कमी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में केंद्र कई योजनाओं पर व्यय में कटौती कर सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.