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कोरोना की दूसरी लहर से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था में आ रही थी तेजी, अब गिरावट का अनुमान: सर्वे

भारत में COVID-19 संक्रमण के 2 करोड़ 79 लाख मामले दर्ज किए गए और 325972 मौतें हुई हैं हालांकि अब मामले भी कम आने लगे हैं और डेथ रेट में भी कुछ कमी आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन का कहना है

By NiteshEdited By: Published: Mon, 31 May 2021 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 31 May 2021 08:00 AM (IST)
कोरोना की दूसरी लहर से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था में आ रही थी तेजी, अब गिरावट का अनुमान: सर्वे
आने वाले समय में तीसरी लहर की भी चेतावनी जारी की गई है।

नई दिल्ली, रायटर्स। भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले तीन महीने जनवरी से मार्च तिमाही में आर्थिक वृद्धि की ओर बढ़ रही थी, लेकिन पिछले महीने देश में COVID-19 की दूसरी लहर आने के बाद अर्थशास्त्री इस तिमाही में वृद्धि को लेकर काफी निराश हैं। 29 अर्थशास्त्रियों के एक रॉयटर्स सर्वेक्षण के औसत पूर्वानुमान के मुताबिक, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में सकल घरेलू उत्पाद मार्च महीने में 1 फीसद बढ़ा, इसमें पिछली तिमाही की तुलना में 0.4 फीसद की वृद्धि रही। सर्वे के मुताबिक, ऐसा तब हुआ जब भारत महामारी से बाहर निकल रहा था। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर से देश में फैले संक्रमण और मौतों से आने वाले महीनों के लिए पूर्वानुमानकर्ताओं ने आर्थिक वृद्धि में कमी का अनुमान लगाया है।

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अप्रैल-जून की वृद्धि का औसत पूर्वानुमान 21.6 फीसद है, जो एक महीने पहले के 23 फीसद के अनुमान से कम है। कोविड के बढ़ते मामले को देखते हुए अधिकांश औद्योगिक राज्यों ने लॉकडाउन लागू करने का फैसला किया, जिससे लाखों लोग काम से बाहर हो गए। मार्च 2022 तक अर्थशास्त्रियों ने अपने औसत पूर्वानुमान को 10.4 फीसद से घटाकर 9.8 फीसद कर दिया।

भारत में COVID-19 संक्रमण के 2 करोड़ 79 लाख मामले दर्ज किए गए और 325,972 मौतें हुई हैं, हालांकि अब मामले भी कम आने लगे हैं और डेथ रेट में भी कुछ कमी आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन का कहना है कि आर्थिक प्रभाव पिछले साल की तरह गंभीर नहीं होगा, क्योंकि इस बार लॉकडाउन में ढील दी गई है और विनिर्माण और निर्यात में वृद्धि अधिक है।

लेकिन Dun & Bradstreet के वैश्विक मुख्य अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा कि विकास के लिए नकारात्मक जोखिम बढ़ रहे थे, क्योंकि दूसरी लहर पूर्व-महामारी विकास दर की वापसी को मुश्किल बना देती है।

उधर, देश में मोदी सरकार को अपने चार महीने पुराने टीकाकरण अभियान की धीमी गति के कारण आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, भारत के 1.38 अरब लोगों में से अब तक महज 4 फीसद से भी कम लोगों को टीका लगा है। अगर टीकाकरण में तेजी नहीं लाई गई तो आने वाले समय में और मुश्किल पैदा हो सकती है। आने वाले समय में तीसरी लहर की भी चेतावनी जारी की गई है।


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