भारतीय दवा व कृषि उत्पादों के लिए बाजार खोलेगा चीन
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। इसे आर्थिक मंदी का असर कहें या फिर चीन के नए प्रशासन का नया मिजाज। चीन के प्रधानमंत्री ली कछ्यांग ने व्यापारिक मुद्दों पर बेहद लचीला रुख दिखाया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठक में चीन ने कारोबारी मुद्दों पर भारत की लगभग हर एक मांग पर सकारात्मक रुख अपनाया है। सूचना प
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। इसे आर्थिक मंदी का असर कहें या फिर चीन के नए प्रशासन का नया मिजाज। चीन के प्रधानमंत्री ली कछ्यांग ने व्यापारिक मुद्दों पर बेहद लचीला रुख दिखाया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठक में चीन ने कारोबारी मुद्दों पर भारत की लगभग हर एक मांग पर सकारात्मक रुख अपनाया है।
सूचना प्रौद्योगिकी और कृषि उत्पादों के निर्यात बढ़ाने की भारत की पुरानी मांग पर चीन ने विचार करने का आश्वासन दिया है। दोनों देश कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने को जरूरी ढांचागत तैयारियों के लिए जल्द ही सहमति बनाएंगे। साथ ही यह सहमति भी बनी कि दवा निर्यात के लिए पंजीयन और निगरानी व्यवस्था बनाने का काम भी जल्द होगा। चीन की कंपनियों और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के बीच बेहतर समझ-बूझ पैदा करने के लिए अलग ढांचा तैयार किया जाएगा ताकि भारतीय कंपनियां चीन की मांग के मुताबिक उत्पाद तैयार कर सके।
सूत्रों के मुताबिक चीन ने व्यापार संतुलन को ठीक करने के लिए भारतीय पक्ष की मांग को जायज ठहराया है। यही वजह है कि उसने अपनी दवा, कृषि और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे संवेदनशील बाजार को भारतीय निर्यात के लिए खोलने की रजामंदी दिखाई है। वर्ष 2015 तक भारत व चीन ने द्विपक्षीय कारोबार 100 अरब करने के लक्ष्य को हासिल करने की मंशा फिर जताई है। उम्मीद की जानी चाहिए की दोनों पक्षों के बीच नई बातचीत के बाद अगले दो वर्षो में चीन को भारत की तरफ से होने वाले मौजूदा 14 अरब डॉलर का निर्यात बढ़ कर 30 से 40 अरब डॉलर हो जाएगा। वर्ष 2012-13 में चीन ने भारत से होने वाले आयात के मुकाबले लगभग 40 अरब डॉलर का ज्यादा सामान इसे निर्यात किया था।
चीन ने भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों के आर्थिक विकास में भी पूरी मदद करने का आश्वासन दिया है। इसके लिए चीन ने आर्थिक सहयोग का ऐसा मॉडल विकसित करने का प्रस्ताव किया है जो पूर्वोत्तर राज्यों को म्यांमार, बांग्लादेश और चीन के बाजारों से जोड़ेगा। विश्व व्यापार संगठन के तहत दोहा दौर की आगामी बातचीत में भी दोनों पक्षों ने पुराने सहयोग को आगे जारी रखने पर सहमति जताई है। खास तौर पर ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर संरक्षणवाद को लेकर दोनों देश सहयोग और मजबूत करेंगे।
अपनी मुद्रा में व्यापार करेंगे भारत-चीन
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सरकारों के साथ ही भारत और चीन के उद्योगपति भी आपसी व्यापार को बढ़ाने में पूरी ताकत झोंकेगे। दोनों देशों के निजी क्षेत्र आपसी मुद्रा [रुपये और आरएमबी] में भी कारोबार को बढ़ावा देंगे। सोमवार को भारत व चीन सीईओ फोरम की पहली बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि जल्द से जल्द दोनों देश एक अरब डॉलर के बराबर मूल्य का द्विपक्षीय कारोबार रुपये और आरएमबी [रेनमिनबी] में करेंगे। वैसे इस बारे में दोनों देशों के बीच वर्ष 2012 में ही सहमति बनी थी लेकिन अभी तक इस पर प्रगति नहीं हो पाई है।
भारत-चीन सीईओ फोरम के अध्यक्ष अनिल अंबानी ने कहा है कि जल्द ही स्थानीय मुद्रा में कारोबार को बढ़ावा देने का रोडमैप तैयार किया जाएगा। फोरम की बैठक में भारतीय पक्ष ने चीन की कंपनियों को इक्विटी निवेश बढ़ाने के लिए आमंत्रित किया। अंबानी ने कहा कि चीन की कंपनियों को भारत के जीवन बीमा कारोबार में निवेश करना चाहिए। यहां के बाजार में अभी काफी संभावनाएं हैं। चीन में जीवन बीमा कारोबार ने काफी प्रगति की है। उन्होंने मनोरंजन क्षेत्र में भी आपसी सहयोग बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि फिल्म शूटिंग के लिए एक दूसरे देश का चयन हो सकता है। भारत-चीन सीईओ फोरम की अगली बैठक वर्ष 2014 में होगी।