भारत-चीन निर्यात को प्रोत्साहन के लिए बनाएंगे कार्य समूह
चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2015-16 के 52.69 अरब डॉलर (करीब 3,369 अरब रुपये) से मामूली कम होकर वित्त वर्ष 2016-17 में 51.08 अरब डॉलर (करीब 3,266 अरब रुपये) रहा है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। भारत और चीन निर्यात बढ़ाने के लिए उद्योग आधारित विशेष कार्य समूह बनाने पर सहमत हुए हैं। वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। दोनों देशों के बीच इस पहल को चीन के साथ भारत के व्यापार घाटे को कम करने की पहल के तौर पर देखा जा रहा है। प्रभु ने ट्विटर पर लिखा, ‘चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटा को देखते हुए हम भारत से निर्यात को बढ़ाने के लिए उद्योग आधारित विशेष कार्य समूह बनाने पर सहमत हुए हैं।’ प्रभु अभी पांचवें पूर्वी एशिया सम्मेलन में आर्थिक मंत्रियों की बैठक में भाग लेने फिलीपींस गए हुए हैं। वह क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के 16 सदस्य देशों के व्यापार मंत्रियों की बैठक में भी भाग लेंगे। सम्मेलन से इतर प्रभु ने अपने चीनी समकक्ष झोंग शान से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।
हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय संभालने वाले प्रभु ने इस मौके पर जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार एवं उद्योग मंत्री हिरोशिगे से को और दक्षिण कोरिया के व्यापार मंत्री ह्युन चोंग किम से भी मुलाकात की। इस बीच, वाणिज्य मंत्रालय ने एक के बाद एक ट्वीट कर यह जानकारी दी कि सुरेश प्रभु ने चीन के उद्यमियों और उद्योगों को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया और उन्हें विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) में निवेश के लिए सुविधा देने की पेशकश की है।
बता दें कि चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2015-16 के 52.69 अरब डॉलर (करीब 3,369 अरब रुपये) से मामूली कम होकर वित्त वर्ष 2016-17 में 51.08 अरब डॉलर (करीब 3,266 अरब रुपये) रहा है। भारत आइटी और फार्मा उत्पादों से जुड़े वस्तु एवं सेवा क्षेत्र में चीनी बाजार में बड़ी दखल चाहता है। भारत ने चीन से निवेश बढ़ाने पर भी जोर दिया है।