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IMF ने जताई सबसे बड़ी मंदी की आशंका, जानें किस तरह की तैयारियों में जुटी हैं वैश्विक एजेंसियां

IMF ने आपातकालीन हालात को देखते हुए ज्यादा प्रभावित देशों के आवेदन पर तत्काल फैसला करने की नीति भी अपनाई है ताकि हालात संभाला जा सके।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 10:30 AM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 06:32 AM (IST)
IMF ने जताई सबसे बड़ी मंदी की आशंका, जानें किस तरह की तैयारियों में जुटी हैं वैश्विक एजेंसियां
IMF ने जताई सबसे बड़ी मंदी की आशंका, जानें किस तरह की तैयारियों में जुटी हैं वैश्विक एजेंसियां

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। तकरीबन हर देश में महामारी के तौर पर दस्तक दे चुके कोरोना वायरस की वजह से दुनिया अपने इतिहास की सबसे बड़ी मंदी की तरफ बढ़ चुकी नजर आ रही है। विश्व की आधी आबादी घरों में बंद है और अधिकांश बड़ी आर्थिक शक्तियों में औद्योगिक गतिविधियां एक के बाद एक ठप होती जा रही हैं। इस हालात के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का मानना है कि सबसे बड़ी मंदी की शुरुआत हो चुकी है। IMF की एमडी क्रिस्टीना जॉर्जिवा के मुताबिक ऐसे हालात पहले कभी नहीं देखे गए जब इतने बड़े पैमाने पर औद्योगिक कल-कारखाने बंद हुए हों। यह वर्ष 2008 की वैश्विक मंदी से भी ज्यादा खतरनाक हालात है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ मिलकर कोरोना वायरस के वैश्विक हालात पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया को संबोधित करते हुए जिस तरह की आशंका आइएमएफ एमडी ने जताई है, वह बेहद गंभीर है। 

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हालात को देखते हुए अब विश्व बैंक, IMF व एशियाई विकास बैंक (एडीबी) जैसे संस्थानों पर सभी देशों की नजर है। IMF ने कहा है कि उसने विभिन्न देशों की मदद के लिए एक लाख करोड़ डॉलर यानी करीब 75 लाख करोड़ रुपये का फंड बनाया है। इसका इस्तेमाल विभिन्न देशों को आपातकालीन हालात में वित्तीय मदद के लिए जाएगा। अभी तक 90 देशों ने आर्थिक मदद की गुहार भी लगा दी है जो बताता है कि इन देशों को समझ आ गया है कि वे बगैर बाहरी मदद के हालात नहीं संभाल पाएंगे। लेकिन IMF ने सभी देशों को आग्रह किया है कि वे अपने लिए प्राथमिकता तय करें। खासतौर पर विकासशील देशों के लिए सबसे जरूरी यह है कि वे अपने हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुरक्षित रखें ताकि इस महामारी से लड़ने में उन्हें मदद मिल सके। 

IMF ने आपातकालीन हालात को देखते हुए ज्यादा प्रभावित देशों के आवेदन पर तत्काल फैसला करने की नीति भी अपनाई है ताकि हालात संभाला जा सके। भारत भी अंतरराष्ट्रीय वित्त एजेंसियों से अतिरिक्त मदद लेने की कतार में है। भारत पिछले कुछ वर्षो से हर तरह के विदेशी कर्ज को कम करने में लगा हुआ था, लेकिन अब जरूरत बड़ी है। दो दिन पहले ही विश्व बैंक ने भारत को एक अरब डॉलर यानी करीब 7,500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मदद देने का एलान किया है। अब भारत आइएमएफ समेत कुछ दूसरी वित्तीय एजेंसियों से 600 करोड़ डॉलर यानी करीब 45,000 करोड़ रुपये की और मदद लेने पर विचार कर रहा है। इस समूची राशि का इस्तेमाल कोविड-19 महामारी से लड़ने में ही किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाली बड़ी रकम का इस्तेमाल भारत अगले दो महीनों के भीतर कोरोना वायरस की टेस्टिंग सुविधा पर खर्च करना चाहता है। विदेशों से टेस्टिंग किट मंगवाने के साथ ही भारत को वेंटिलेटर्स आयात करने में बड़ी राशि खर्च करनी होगी।


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