IL&FS संकट: पूर्व निदेशकों पर मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक साजिश का आरोप, नोटिस जारी
14 पूर्व निदेशकों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए नए प्रबंधन ने उन पर आरबीआई के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए बाहरी और ग्रुप की कंपनियों पर भ्रामक तरीके से कर्ज देने का आरोप लगाया है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क/एजेंसी)। आईएलएंडएफएस (IL&FS) संकट का समाधान सुझाने के लिए सरकार की तरफ से गठित किए गए नए बोर्ड ने कंपनी के 14 पूर्व निदेशकों पर मनी लॉन्ड्रिंग और नियमों का उल्लंघन कर लोन देने का आरोप लगाया है, जिसकी वजह से कंपनी को ''बड़े पैमाने पर वित्तीय संकट और घाटे'' का सामना करना पड़ा।
14 पूर्व निदेशकों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए नए प्रबंधन ने उन पर ''आरबीआई के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए बाहरी और ग्रुप की कंपनियों पर भ्रामक तरीके से कर्ज देने'' का आरोप लगाया है।
नए प्रबंधन का कहना है कि कंपनी के पूर्व निदेशकों ने कई कर्जदारों की तरफ से किए गए भुगतान के मामले में फर्जीवाड़ा करते हुए उन्हें फिर से लोन दिया, जिसमें कई बड़े कॉरपोरेट समूह से जुड़ी कंपनियां भी शामिल हैं।
27 फरवरी को जारी किए गए इस नोटिस में पूर्व निदेशकों से सात दिनों के भीतर इस बात का जवाब देने के लिए कहा गया है, कि क्यों न उनके खिलाफ ''गलत तरीके से काम करने, कर्तव्यों का पालन नहीं करने, घोर लापरवाही और साजिश के जरिए एक दूसरे को लाभ पहुंचाने'' के मामले में विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाए।
अधिकारियों ने कहा कि अभी तक इन 14 नोटिसों का जवाब नहीं मिला है और बोर्ड अब इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए केस दर्ज करा सकता है।
सभी पूर्व निदेशकों यह नोटिस ग्रांट थॉर्नटन की तरफ से कराए गए ऑडिट के बाद जारी किया गया है। आईएलएंडएफएस समूह, कुल 24 सहायक कंपनियों, अप्रत्यक्ष रूप से 135 सहायक कंपनियों और छह संयुक्त उपक्रम का संचालन करती है, जिसके ऊपर करीब 94,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।
ऑडिट रिपोर्ट में ऐसे 29 मामलों का जिक्र किया गया है, जिसमें कर्जदारों को दिए गए कर्ज का इस्तेमाल आईएलएंडएफएस फाइनैंशियल सर्विसेज लिमिटेड के मौजूदा कर्ज को चुकाने में किया गया।
आईलएंडएफएस में एलआईसी की सबसे ज्यादा 25 फीसद हिस्सेदारी है, जबकि जापान की ओरिक्स कॉर्प की इसमें 23 फीसद हिस्सेदारी है।
वहीं आईएलएंडएफएस एंप्लॉय वेलफेयर ट्रस्ट की कंपनी में 12 फीसद हिस्सेदारी है। अबू धाबी इनवेस्टमेंत अथॉरिटी, एचडीएफसी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की इसमें क्रमश: 12.56, 9.02 और 7.67 फीसद हिस्सेदारी है। एसबीआई की इसमें सबसे कम 7 फीसद हिस्सेदारी है।
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