महंगाई घटी, ब्याज में कटौती का इंतजार
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश में जुटी राजग सरकार को बुधवार को आर्थिक मोर्चे से दो राहतभरी खबरें मिली हैं। पहली, खुदरा महंगाई अब तक के न्यूनतम स्तर पर आ गई है। दूसरी, औद्योगिक उत्पादन ने मंदी की जकड़ से निकलने के संकेत दिए हैं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश में जुटी राजग सरकार को बुधवार को आर्थिक मोर्चे से दो राहतभरी खबरें मिली हैं। पहली, खुदरा महंगाई अब तक के न्यूनतम स्तर पर आ गई है। दूसरी, औद्योगिक उत्पादन ने मंदी की जकड़ से निकलने के संकेत दिए हैं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई की दर लगातार चौथे महीने कम हुई है। इस साल अक्टूबर में यह दर 5.52 प्रतिशत रह गई है। दूसरी ओर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) की दर भी धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ते हुए सितंबर में बढ़कर तीन महीने के ऊंचे स्तर 2.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
महंगाई और औद्योगिक उत्पादन के इन आंकड़ों ने रिजर्व बैंक (आरबीआइ) गवर्नर रघुराम राजन पर ब्याज दरों को कम करने का दबाव बना दिया है। खुदरा महंगाई की यह दर आरबीआइ के सालाना लक्ष्य (आठ फीसद) से काफी कम है। औद्योगिक क्षेत्र ने जो रफ्तार पकड़ी है, अगर उसे घटती ब्याज दरों का सहारा मिल जाए तो इसकी स्थिति और सुधर सकती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली लगातार यह कह रहे हैं कि अर्थïव्यवस्था को सुधारने की सरकार की कोशिशों में रिजर्व बैंक को भी मदद करनी चाहिए। आरबीआइ को ब्याज दरों को लेकर सकारात्मक माहौल बनाना चाहिए। माना जा रहा है कि आरबीआइ दो दिसंबर को मौद्रिक एवं ऋण नीति की समीक्षा करते समय ब्याज दरों कटौती पर विचार करेगा।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में सब्जियों के दाम घटने से खुदरा महंगाई दर में कमी आई है। पिछले साल के इसी महीने में यह दर 10.17 प्रतिशत थी। इसी तरह उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर भी घटकर इस साल अक्टूबर में 5.59 प्रतिशत रही। सितंबर में यह 7.67 प्रतिशत थी। फलों और दूध व दुग्ध उत्पादों की कीमतें बढऩे की रफ्तार अक्टूबर में क्रमश: 17.49 तथा 10.79 प्रतिशत रही हैं।
औद्योगिक उत्पादन का हाल
सितंबर में दर्ज 2.5 फीसद की औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर अपर्याप्त है। अगस्त में यह दर 0.48, जुलाई में 0.4 और जून में 4.3 प्रतिशत थी। पिछले साल सितंबर में आइआइपी 2.7 प्रतिशत था। वहीं, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से सितंबर तक पहली छमाही में आइआइपी की दर 2.8 प्रतिशत रही है। यह पिछले साल समान अवधि में 0.5 प्रतिशत थी।
आइआइपी में मैन्यूफैक्चङ्क्षरग क्षेत्र हिस्सा 75 प्रतिशत से अधिक है। मैन्यूफैक्चङ्क्षरग क्षेत्र के उत्पादन में सितंबर में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पिछले साल समान महीने में इसकी बढ़त 1.4 प्रतिशत थी। अप्रैल से सितंबर की अवधि में मैन्यूफैक्चङ्क्षरग क्षेत्र में दो प्रतिशत की वृद्धि हुई।पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 0.2 प्रतिशत था। इसी तरह सितंबर में खनन क्षेत्र के उत्पादन में 0.7 और कैपिटल गुड्स में 11.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। मैन्यूफैक्चङ्क्षरग क्षेत्र में 22 उद्योग समूहों में से 15 में सकारात्मक वृद्धि रही।