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Loan लिया है? ऐसे उठाएं ब्याज दर से जुड़ी नई पॉलिसी का पूरा लाभ

Lowering EMI अगर आपने किसी भी तरह का रिटेल लोन लिया है तो आपको अपनी ईएमआई कम कराने के लिए मौजूद सभी विकल्पों का इस्तेमाल करना चाहिए।

By Ankit KumarEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 11:20 AM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 11:20 AM (IST)
Loan लिया है? ऐसे उठाएं ब्याज दर से जुड़ी नई पॉलिसी का पूरा लाभ
Loan लिया है? ऐसे उठाएं ब्याज दर से जुड़ी नई पॉलिसी का पूरा लाभ

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अगर आपने किसी तरह का लोन लिया है और हर महीने ईएमआई जमा कर रहे हैं तो यह खबर आपके फायदे की है। दरअसल, आरबीआई के निर्देश के बाद बैंकों ने रिटेल लोन की ब्याज दर को रेपो रेट से जोड़ तो दिया है लेकिन इस बारे में बहुत बात नहीं हो रही है कि कस्टमर इसका अधिक-से-अधिक बेनिफिट कैसे ले सकते हैं। ऐसे में अगर आपने लोन लिया है तो आपको इस बारे में जरूर जानना चाहिए कि आप नई व्यवस्था को कैसे भुना सकते हैं।

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इस चीज को समझने से पहले हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि यह पूरा मामला है क्या और रिजर्व बैंक को ब्याज दर के संबंध में नई नीति लाने की जरूरत क्यों पड़ी। दरअसल, लंबे समय से यह देखा जाता रहा है कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने के साथ ही बैंक विभिन्न तरह के लोन पर इंटरेस्ट बढ़ा देते थे लेकिन रेपो रेट में कमी पर ब्याज दर में कमी देखने को नहीं मिलती थी। 

इस चीज को इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि आरबीआई ने अगस्त तक ही रेपो रेट में 1.10 फीसद की कटौती कर दी थी लेकिन बैंक इसका लाभ कस्टमर्स को पास नहीं कर रहे थे। वे बार-बार इंटरनल रिजन्स का हवाला देकर दर में कटौती का लाभ पूरी तरह से अपने ग्राहकों या लोन लेने वालों को नहीं देते थे। नतीजन जिस मकसद के साथ रेपो रेट में कटौती की गई थी, वह पूरा नहीं हो पा रहा था। इसके बाद चार सितंबर, 2019 को केंद्रीय बैंक ने एक सर्कुलर जारी कर एक अक्टूबर से रिटेल लोन पर मिलने वाले ब्याज को एक्सटर्नल बेंचमार्क से जोड़ना अनिवार्य बना दिया। इसके बाद सिटी बैंक को छोड़कर लगभग सभी बैंक ने रेपो रेट को एक्सटर्नल बेंचमार्क के तौर पर अपनाया। अब आपके लिए यह जानना जरूरी है कि इंटरेस्ट रेट में की गई कमी का अधिकतम फायदा कैसे उठाया जा सकता है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं:

1. रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (आरएलएलआर) एक अक्टूबर, 2019 से लागू हो गया है। अब ग्राहकों के पास आरएलएलआर और एमसीएलआर में से किसी एक को चुनने का विकल्प है। नए ग्राहक रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट को चुन सकते हैं। इससे उनका ईएमआई केंद्रीय बैंक के मौद्रिक नीतियों पर निर्भर होगा। इससे उनकी मासिक किस्त में कमी आएगी। बचे हुए पैसे को सेव कर सकते हैं और निवेश करके उससे पैसे बना सकते हैं।

2. जिन ग्राहकों ने पहले से लोन लिया हुआ है, उन्हें यह देखना होगा कि बैंक ने पुराने ग्राहकों के लिए नई इंटरेस्ट रेट व्यवस्था को लागू किया है या नहीं। अगर उनका बैंक इस बात की घोषणा करता है तो उन्हें अपने ब्रांच में जाकर इस बारे में बात करनी चाहिए। 

3. केनरा बैंक के दिल्ली सर्किल के जनरल मैनेजर शांतनु कुमार मजूमदार ने बताया कि सभी बैंकों की एक निश्चित प्रक्रिया होती है। ब्याज दर को लेकर किसी भी तरह की घोषणा के बाद ग्राहक को चाहिए कि वे ब्रांच में जाएं और अपने ईएमआई के बारे में जानकारी प्राप्त करें। साथ ही वे ब्याज दर में होने वाले किसी भी बदलाव के बारे में वहां पता कर सकते हैं। इस तरह उन्हें अपनी ईएमआई में कमी के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इसका मतलब है कि आपको अपने लोन एवं ईएमआई के बारे में बैंक से निश्चित तौर पर बात करनी चाहिए। 

4. सबसे अहम बात यह है कि आपने पहले से लोन ले रखा है तो आपको ऑनलाइन यह कम्पेयर करना चाहिए कि कौन सा बैंक सबसे सस्ती दरों पर लोन दे रहा है। ऐसे में आपको चाहिए कि आप अपना बैलेंस लोन उस बैंक में ट्रांसफर करा लें। इस तरह आपकी ईएमआई में कमी आ जाएगी।


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