टैक्स वसूली बढ़ाने को करदाताओं के व्यवहार का होगा अध्ययन
जल्द ही जीएसटी अधिकारी करदाताओं की व्यावहारिक प्रकृति का अध्ययन करेंगे
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। टैक्स चोरी रोकने के लिए करदाताओं को भयभीत करने की नीति सरकार अब छोड़ रही है। जल्द ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अधिकारी करदाताओं की व्यावहारिक प्रकृति का अध्ययन करेंगे, ताकि उन्हें अलग-अलग तरीके से टैक्स कानूनों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
एक अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) ने एक टीम गठित की है। यह टीम करदाताओं के व्यवहार का अध्ययन करेगी। इस अध्ययन के आधार पर टीम अलग-अलग करदाताओं के लिए नियम बनाएगी और उन्हें टैक्स चुकाने के प्रति प्रोत्साहित करेगी।
यह योजना व्यावहारिक हस्तक्षेप या भय नहीं पैदा करने के दृष्टिकोण पर आधारित है, जिसका उपयोग ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और मेक्सिको जैसे देशों में नीति बनाने और टैक्स वसूली बढ़ाने में किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा कि व्यावहारिक प्रकृति के आधार पर विभाग करदाताओं को निष्क्रिय, विरोधी, प्रयास करने वाले और समर्थक जैसी अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित करेगा।
अधिकारी ने कहा कि नॉन-विलफुल डिफॉल्टरों के मामले में विभाग उन्हें टैक्स कानून का पालन कराने के सरल तरीके अपनाएगा, जिसके तहत व्यक्तिगत ईमेल भेजकर उन्हें याद दिलाया जाएगा कि टैक्स भुगतान चक्र में डिफॉल्ट हो गया है। जो करदाता कानून का पालन नहीं करते और जान-बूझकर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते, उन्हें निष्क्रिय की श्रेणी में रखा जाएगा। जो करदाता कानून का पालन करना चाहते हैं लेकिन किसी वजह से टैक्स भुगतान में परेशानी महसूस करते हैं, उन्हें कोशिश करने वाला माना जाएगा। जो स्वेच्छा से टैक्स का भुगतान करते हैं उन्हें, समर्थक माना जाएगा।
दो साल में जीएसटी परिषद ने की 30 बैठकें, लिए 918 फैसले: वित्त मंत्रालय
दो साल से थोड़े ही अधिक समय में जीएसटी परिषद ने 30 बैठकें की हैं और इन बैठकों में कानून, नियमावली, दरों, क्षतिपूर्ति और कराधान की सीमा से संबंधित 918 फैसले लिए गए हैं। यह जानकारी वित्त मंत्रालय ने रविवार को दी। मंत्रालय ने कहा कि 96 फीसद से अधिक फैसले केंद्र सरकार की अधिसूचनाओं के जरिए लागू किए जा चुके हैं। शेष फैसले कार्यान्वयन के अलग-अलग चरणों में हैं। हर राज्य ने भी लगभग इतनी ही संख्या में संबंधित अधिसूचनाएं जारी की हैं।