जीएसटी कंपनसेशन पर 5 अक्टूबर को होगी काउंसिल की बैठक, कई राज्यों को कर्ज लेने के दोनों ही विकल्प मंजूर नहीं
कई राज्य ऐसे हैं जिन्हें कर्ज लेने के दोनों ही विकल्प मंजूर नहीं है। इन राज्यों में मुख्य रूप से केरल दिल्ली तेलंगाना छत्तीसगढ़ पश्चिम बंगाल जैसे विपक्ष शासित राज्य शामिल हैं
नई दिल्ली, राजीव कुमार। जीएसटी कंपनशेसन के मसले पर जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक अब 5 अक्टूबर को होगी। पहले यह बैठक 19 सितंबर को प्रस्तावित थी। 5 अक्टूबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में मुख्य रूप से कंपनसेशन मसले पर ही चर्चा होगी। जीएसटी दरों में किसी प्रकार के बदलाव की संभावना नहीं है।
गत 27 अगस्त को जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्यों को कर्ज लेने के दो विकल्प दिए गए थे। राज्यों को इन विकल्पों पर विचार करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था। 13 राज्य इन दोनों विकल्पों में से एक विकल्प अपनाने के लिए राजी हो गए हैं, लेकिन कई राज्य ऐसे हैं जिन्हें कर्ज लेने के दोनों में से कोई विकल्प मंजूर नहीं है। इन राज्यों में मुख्य रूप से केरल, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल जैसे विपक्ष शासित राज्य शामिल हैं। हालांकि इसमें तमिलनाडु भी शामिल है।
पिछली बैठक के बाद विपक्षी राज्यों की ओर से कंपनसेशन को लेकर काफी विवाद हुआ था। कांग्रेस की ओर से संकेत है कि वर्तमान मानसून सत्र मे भी इसे उठाया जाएगा। छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री और काउंसिल के सदस्य टी.एस. सिंह देव ने बताया कि सरकार ने कंपनसेशन के लिए कर्ज लेने के जो दो विकल्प रखे हैं, उन दोनों विकल्प के तहत केंद्र सरकार ही कर्ज की गारंटी लेगी।
उन्होंने कहा जब केंद्र लोन की गारंटी ले सकती है तो कर्ज भी ले सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि जिस सेस के आधार पर सरकार कर्ज लेने की बात कर रही है, उस सेस की वसूली भी केंद्र करता है। फिर राज्यों को कर्ज लेने के लिए क्यों कहा जा रहा है।
गत 27 अगस्त को केंद्र की तरफ से कहा गया था कि कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए केंद्र सरकार पहले ही काफी कर्ज ले चुकी है और केंद्र अब और कर्ज नहीं ले सकता। मंगलवार को केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी संसद को यह जानकारी दी कि कई राज्य कर्ज के विकल्प को मानने के लिए राजी नहीं है।
27 अगस्त को केंद्र ने राज्यों को पहले विकल्प के तहत स्पेशल विंडो से 97,000 करोड़ के कर्ज लेने का विकल्प रखा था। दूसरे विकल्प के तहत 2.35 लाख करोड़ रुपए मार्केट से कर्ज लेने का प्रस्ताव था। केंद्र ने इस कर्ज को चुकता करने के लिए वर्ष 2022 के बाद सेस की अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था।
सूत्रों के मुताबिक आगामी 5 अक्टूबर की बैठक में जीएसटी दरों में किसी प्रकार के बदलाव की कोई संभावना नहीं है। सूत्रों के मुताबिक अभी किसी वस्तु की जीएसटी दर कम करने पर राजस्व में कमी आएगी और किसी वस्तु की दर बढ़ाने पर वह वस्तु महंगी हो जाएगी जो कोरोना काल में जायज नहीं है।