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GST के दायरे में आ सकता है पेट्रोल-डीजल, 17 सितंबर की मीटिंग में फैसला संभव

इससे केंद्र को भी नुकसान होगा क्योंकि पेट्रोल पर 32.80 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क और डीजल पर 31.80 रुपये उपकर मिलता है जिसे वह राज्यों के साथ साझा नहीं करता है। जीएसटी के तहत सभी राजस्व को केंद्र और राज्यों के बीच 5050 के अनुपात में बंटेगा।

By NiteshEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 06:00 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 12:16 PM (IST)
GST के दायरे में आ सकता है पेट्रोल-डीजल, 17 सितंबर की मीटिंग में फैसला संभव
GST Council may consider bringing petrol diesel under GST on Sept 17

नई दिल्ली, पीटीआइ। GST परिषद शुक्रवार को पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी व्यवस्था के तहत लाने पर विचार कर सकती है। शुक्रवार 17 सितंबर को लखनऊ में होने वाली बैठक में इस पर फैसला हो सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि पेट्रोल, डीजल के जीएसटी के तहत आने पर इसकी कीमतों में कटौती संभव है।

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जून में केरल उच्च न्यायालय ने एक रिट याचिका के आधार पर जीएसटी परिषद से पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाने का फैसला करने को कहा था। सूत्रों ने कहा कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को अदालत के आलोक में परिषद के समक्ष रखा जाएगा और परिषद को ऐसा करने के लिए कहा जाएगा।

राष्ट्रीय जीएसटी में 1 जुलाई, 2017 को उत्पाद शुल्क और राज्य शुल्क वैट जैसे केंद्रीय करों को शामिल कर लिया गया, लेकिन पांच पेट्रोलियम सामान पेट्रोल, डीजल, एटीएफ, प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल को कुछ समय के लिए इसके दायरे से बाहर रखा गया था।

ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार दोनों का वित्त इन उत्पादों पर करों पर बहुत अधिक निर्भर करता है।

चूंकि जीएसटी एक खपत आधारित कर है, इसलिए पेट्रो उत्पादों को शासन के तहत लाने का मतलब उन राज्यों से होगा जहां इन उत्पादों को बेचा जाता है, न कि उन राज्यों को जो मौजूदा समय में उत्पादन केंद्र होने के कारण उनमें से सबसे अधिक लाभ लेते हैं।

इसको आसान शब्दों में ऐसे समझा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश और बिहार को उनकी विशाल आबादी और परिणामस्वरूप उच्च खपत के साथ गुजरात जैसे राज्यों की कीमत पर अधिक राजस्व प्राप्त होगा। केंद्रीय उत्पाद शुल्क और राज्य वैट मौजूदा समय में पेट्रोल और डीजल के खुदरा बिक्री मूल्य का लगभग आधा है।

इससे केंद्र को भी नुकसान होगा क्योंकि पेट्रोल पर 32.80 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क और डीजल पर 31.80 रुपये उपकर मिलता है, जिसे वह राज्यों के साथ साझा नहीं करता है। जीएसटी के तहत, सभी राजस्व को केंद्र और राज्यों के बीच 50:50 के अनुपात में बंटेगा।


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