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जीएसटी क्षतिपूर्ति का विकल्प नहीं चुनना राज्यों को पड़ेगा महंगा, जून 2022 तक करना पड़ सकता है इंतजार

GST क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर केंद्र सरकार का कहना है कि जो राज्य उसकी तरफ से प्रस्तावित विकल्प को स्वीकार नहीं करेंगे उन्हें GST भरपाई के लिए जून 2022 तक इंतजार करना पड़ सकता है।

By Manish MishraEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 12:21 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 12:21 PM (IST)
जीएसटी क्षतिपूर्ति का विकल्प नहीं चुनना राज्यों को पड़ेगा महंगा, जून 2022 तक करना पड़ सकता है इंतजार
जीएसटी क्षतिपूर्ति का विकल्प नहीं चुनना राज्यों को पड़ेगा महंगा, जून 2022 तक करना पड़ सकता है इंतजार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आने वाले दिनों में सत्ता व विपक्ष के बीच रार और बढ़ने का अंदेशा है। जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर केंद्र सरकार का कहना है कि जो राज्य उसकी तरफ से प्रस्तावित विकल्प को स्वीकार नहीं करेंगे उन्हें जीएसटी भरपाई के लिए जून, 2022 तक इंतजार करना पड़ सकता है। जबकि केंद्र की तरफ से जीएसटी क्षतिपूर्ति मामले के समाधान के लिए जो फार्मूला प्रस्तावित किया गया था उसे स्वीकार करने की 21 राज्यों ने रजामंदी जता दी है। इसमें सभी भाजपा शासित या भाजपा के समर्थन से चलने वाली राज्य सरकारों के अलावा सिर्फ एक कांग्रेस शासित राज्य पुडुचेरी हैं। 

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यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि सभी 21 राज्यों ने पहला विकल्प यानी बेहद आसान शर्तो पर आरबीआइ से क्षतिपूर्ति के बराबर राशि बतौर कर्ज लेने की सहमति जताई है। सभी राज्य संयुक्त तौर पर तकरीबन 97 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेंगे। जिन राज्यों ने पहले विकल्प को चुना है उसमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू व कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडीसा, पुडुचेरी, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश हैं। 

दूसरा विकल्प यानी जीएसटी बकाये की पूरी 2.35 करोड़ रुपये राशि बाजार से बतौर कर्ज लेने को किसी भी राज्य ने नहीं चुना है। जबकि झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, तमिलनाडु व राजस्थान ने अभी तक कोई विकल्प को चुनने को लेकर केंद्र को नहीं बताया है। ऐसा करना इन राज्यों को महंगा पड़ सकता है। 

वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि जीएसटी परिषद ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों का उपस्थिति में जीएसटी कंपनसेशन संबंधी प्रसाव पारित किया था। अब जीएसटी कानून के तहत काउंसिल के फैसले को लागू करने के लिए कम से कम 20 राज्यों की तरफ से सहमति चाहिए। ऐसे में यह स्पष्ट है को जो राज्य 5 अक्टूबर, 2020 तक जीएसटी काउंसिल के समक्ष अपना विकल्प नहीं देते हैं उन्हें क्षतिपूर्ति की बकाये रकम को हासिल करने के लिए जून, 2022 तक का इंतजार करना पड़ सकता है। वह भी तब जब परिषद कंपनसेशन शुल्क को जून, 2022 के बाद भी वसूलने की छूट दे। सनद रहे कि आíथक गतिविधयों के ठप्प हो जाने से जीएसटी वसूली काफी कम हो गई है इस वजह से राज्यों को जीएसटी क्षतिपूíत की राशि अदाएगी एक तरह से बंद हो गई है। 

दरअसल जीएसटी लागू होने के समय राज्यों को यह कानूनी वचन दिया गया था कि उन्हें हर वर्ष 14 फीसद ज्यादा कर संग्रह का भुगतान सुनिश्चत किया जाएगा। राज्यों को इसके लिए जीएसटी कंपनसेशन टैक्स वसूलने की छूट भी दी गई जो मूलत? अटोमोबाइल, सिगरेट, शराब वगैरह पर लगाया जाता है। जुलाई, 2017 में जीएसटी लागू हुआ औऱ इसके बाद दो वर्षो तक तो कोई दिक्कत नहीं हुई। 27 अगस्त को जीएसटी काउंसिल की बैठक में क्षतिपूर्ति की राशि कर्ज के माध्यम से देने का दो प्रस्ताव तैयार किये गये। 

राज्यों पर क्षतिपूर्ति के तौर पर 2.35 लाख करोड़ रुपये की राशि देय है। केंद्र का कहना है कि इसमें से सिर्फ 97 हजार करोड़ रुपये की राशि आíथक मंदी की वजह से नहीं वसूली जा सकती है जिसकी भरपाई वह करने को तैयार है। शेष राशि कोविड की वजह से आíथक गतिविधियों के ठप्प होने से नहीं वसूला गया है जिसका बोझ केंद्र नहीं उठाएगा। इस राशि को आरबीआइ विशेष विंडो के तहत बतौर कर्ज राज्यों को देगा लेकिन इसको चुकाने के लिए राज्यों को लंबे समय तक कंपनसेशन टैक्स वसूलने की छूट दी जाएगी।


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