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मोबाइल फोन और प्राइवेट डेटा को चोरी होने से बचा सकते हैं आप, जानिए कैसे

सरकार ग्राहकों के मोबाइल फोन और प्राइवेट डेटा को और सुरक्षित बनाने के लिए एक योजना पर काम कर रही है

By Surbhi JainEdited By: Published: Wed, 05 Jul 2017 03:53 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jul 2017 03:53 PM (IST)
मोबाइल फोन और प्राइवेट डेटा को चोरी होने से बचा सकते हैं आप, जानिए कैसे
मोबाइल फोन और प्राइवेट डेटा को चोरी होने से बचा सकते हैं आप, जानिए कैसे

नई दिल्ली (जेएनएन)। लोग अब अपने मोबाइल फोन और प्राइवेट डेटा के चोरी होने को आसानी से रोक सकते हैं और इसमें सरकार आपकी मदद करेगी। दरअसल सरकार ग्राहकों के मोबाइल फोन और प्राइवेट डेटा को और सुरक्षित बनाने के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर्स के लिए एक सेटअप तैयार करने का प्रस्ताव रखेगी। यह एक तरह का सेंट्रल सिस्टम है जहां कैरियर फोन के गुम या चोरी होने की जानकारी शेयर कर सकता है। साथ ही यह सिम बदलने की स्थिति में डिवाइस को रिएक्टिवेट किए जाने की जानकारी देगा।

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भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) पुणे में सेंट्रल इक्विपमेंट आईडेंटिफाई रजिस्टर (सीईआईआर) का छह महीने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने वाली है। कंपनी ने मंगलवार को एक अधिसूचना में इस बाबत जानकारी दी है। कंपनी ने बताया कि मोबाइल फोन के गुम होने या क्लोनिंग के कारण निजी और राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे में पड़ जाती है। इस योजना का उदेश्य कंज्यूमर इंटरस्ट, जालसाजी कम करना, मोबाइल चोरी को हतोत्साहित करना, क्लोन फोन का पता लगाना और कानून के तहत रोक लगाना है।

विभाग का कहना है कि मोबाइल फोन की चोरी और क्लोनिंग एक गंभीर समस्या बन गई है। यह न केवल वित्तीय नुकसान है बल्कि नागरिकों की निजी जानकारी और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। हमारे मोबाइल नेटवर्क में कई काउंटफीट फोन, नकली आईएमईआई के साथ एक्टिव है। नकली आईएमईआई वाले फोन लोकप्रिय ब्रैंड और मॉडल्स की गैर कानूनी कॉपी होते हैं। यह कंज्यूमर्स को दी जाने सर्विस को प्रभावित करता है।
विभाग ने यह भी कहा कि है यह सेहत के लिए हानिकारक होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह तय किए गए स्टैंडर्ड्स का पालन नहीं करते हैं और सुझाए गए रेडिएशन्स से ऊंची रेडिएशन्स इमिट करते हैं।

आईएमईआई या इंटरनैशनल मोबाइल इक्विपमेंट आईडेंटिटी 15 डिजिट का नंबर होता है। यह हर मोबाइल का अलग होता है, इससे फोन का मॉडल और मैन्यूफैक्चर पता लगाया जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि कानून प्रवर्तन एजेंसी भी इसी के माध्यम से फोन और कॉल्स को ट्रैक करती हैं।


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