प्रदूषणकारी उद्योगों को रंग से चिन्हित करेगी सरकार
सरकार प्रदूषणकारी उद्योगों को अब लाल, हरे और नारंगी रंग से चिन्हित करेगी। इसी आधार पर इन उद्योगों को चलाने की अनुमति दी जाएगी। यह फैसला राज्यों के पर्यावरण और वन मंत्रियों के दो दिवसीय सम्मेलन में किया गया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार प्रदूषणकारी उद्योगों को अब लाल, हरे और नारंगी रंग से चिन्हित करेगी। इसी आधार पर इन उद्योगों को चलाने की अनुमति दी जाएगी। यह फैसला राज्यों के पर्यावरण और वन मंत्रियों के दो दिवसीय सम्मेलन में किया गया है।
इसके अनुसार, जो उद्योग अधिक प्रदूषण फैलाएगा उसे कम अवधि के लिए परिचालन की अनुमति मिलेगी, जबकि गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों को अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। खासबात यह है कि लाल श्रेणी वाले अति प्रदूषणकारी उद्योगों को शहरों तथा संवेदनशील जगहों पर लगाने की इजाजत नहीं होगी। ऐसा होने पर प्रदूषणकारी उद्योगों पर जहां लगाम लगेगी, वहीं गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों को अनावश्यक मंजूरी प्रक्रियाओं से दो-चार नहीं होना पड़ेगा।
राज्यों से विचार-विमर्श के बाद इस संबंध में केंद्र ने नियम तैयार करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है। सम्मेलन के समापन पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि प्रदूषण की दृष्टि से उद्योगों को तीन श्रेणियों लाल, नारंगी और हरे रंग में चिन्हित किया जाएगा। इसके लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है। इसमें राज्यों के प्रतिनिधि भी होंगे। समिति जल्द ही अपनी रिपोर्ट देगी। इसी आधार पर उद्योगों को मंजूरी दी जाएगी।
नई व्यवस्था बनने पर लाल श्रेणी के उद्योगों को पांच साल, जबकि नारंगी श्रेणी वाले उद्योगों को दस साल के परिचालन की अनुमति मिलेगी। हरे रंग की श्रेणी वाले उद्योगों एक बार ही अनुमति लेनी होगी।
उल्लेखनीय है कि फिलहाल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 17 प्रदूषणकारी उद्योगों की पहचान की है। इसमें टेनरियां, चीनी मिल, सीमेंट और पेस्टीसाइड्स जैसे उद्योग शामिल हैं। इनके परिचालन के लिए हर साल अनुमति लेनी होती है। नई व्यवस्था बनने पर उद्योगों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से बार-बार अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सम्मेलन में यह भी तय हुआ कि प्रत्येक राज्य सरकार चालू वित्त वर्ष में अपने यहां कम से कम एक जैव-विविधता स्थल घोषित करे।
दिल्ली में धूल पर नियंत्रण के लिए 15 दिन में आएंगे नियम
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सरकार 15 दिन के भीतर कंस्ट्रक्शन मलबे के संबंध में दिशानिर्देश जारी करेगी। इससे हवा में धूल के सूक्ष्म कणों की मात्रा पर अंकुश लग सकेगा। सोमवार को दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के पर्यावरण मंत्रियों के साथ उनकी बातचीत हो चुकी है। इस संबंध में 13 अप्रैल को एनसीआर में शामिल राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की एक और बैठक बुलाई गई है।