सरकारी बैंकों के लिए फिर खुला खजाना, जल्द मिलेगी मदद
वित्तीय क्षेत्र में फंड की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार एक बार फिर बैंकों के लिए अपना खजाना खोलने जा रही है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्तीय क्षेत्र में फंड की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार एक बार फिर बैंकों के लिए अपना खजाना खोलने जा रही है। इस बार सरकारी बैंकों को 20,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मदद दिए जाने का प्रस्ताव है जिस पर जल्द फैसला होगा। सरकार इसी वर्ष जनवरी में कई सरकारी बैंकों को 8,136 करोड़ रुपये और उसके बाद जुलाई में पांच सरकारी बैंकों को 11,336 करोड़ रुपये की राशि दे चुकी है। इस बार उन बैंकों को राशि उपलब्ध कराई जा रही है जो सीधे तौर पर गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) को ज्यादा फंड उपलब्ध कराते हैं। सरकार का यह कदम रियल एस्टेट, ऑटो उद्योग को ज्यादा कर्ज दिलाने में मददगार साबित होगा।
एनबीएफसी ही नहीं, बल्कि दूसरे वित्तीय क्षेत्र में भी अभी वित्त की समस्या बनी हुई है। इस बात को लेकर रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच तनाव भी है। पिछले दिनों उद्योग जगत की तरफ से सरकार और आरबीआइ को स्पष्ट संदेश भी भेजा गया कि वह बैंकिंग व्यवस्था में और ज्यादा पूंजी उपलब्धता का इंतजाम करे। इसके बाद ही सरकार के भीतर मामले की गंभीरता को समझा गया है। पिछले शुक्रवार को देश के कुछ प्रमुख बैंकों के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली की इस बारे में चर्चा भी हुई है। फिलहाल 20,000 करोड़ रुपये की मदद देने की घोषणा की जा सकती है।
सरकारी खजाने को एक बार फिर खोलने की नौबत इसलिए भी आ गई है कि सार्वजनिक क्षेत्र के ज्यादातर बैंक अभी अपने स्तर पर अतिरिक्त फंड का इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं। अक्टूबर, 2017 में केंद्रीय कैबिनेट ने इन बैंकों के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया गया था। उसमें से 1.35 लाख करोड़ रुपये की राशि बांड्स व वित्तीय मदद के जरिये दी जानी थी। जुलाई, 2018 तक कुछ सरकारी बैंकों ने 71 हजार करोड़ रुपये के बांड्स जारी किये थे। लेकिन अभी 11 बैंकों पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने प्रांम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) लगाया हुआ है। पीसीए के तहत बैंक किसी भी ग्राहक को बड़ी मात्र में कर्ज नहीं दे सकते। इसके साथ ही उनकी शाखा विस्तार जैसी गतिविधियों पर प्रतिबंध लग जाता है। इस वजह से इन बैंकों की बाजार से राशि जुटाने की क्षमता भी प्रभावित हो गई है। लिहाजा उनके समक्ष सरकार से निवेश के रूप में पूंजी लेने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है। सूत्रों का कहना है कि पीसीए से बाहर रहने वाले पीएनबी जैसे कुछ बैंकों को भी सरकार से बड़ी रकम मिल सकती है।