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नियमों में बदलाव के बाद ई-कॉमर्स इंडस्ट्री के नियामक बना सकती सरकार!

भारत का ई-कॉमर्स बाजार मुख्य रूप से एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के बीच बंटा हुआ है।

By Abhishek ParasharEdited By: Published: Fri, 28 Dec 2018 11:39 AM (IST)Updated: Fri, 28 Dec 2018 03:30 PM (IST)
नियमों में बदलाव के बाद ई-कॉमर्स इंडस्ट्री के नियामक बना सकती सरकार!
नियमों में बदलाव के बाद ई-कॉमर्स इंडस्ट्री के नियामक बना सकती सरकार!

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। देश में तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स इंडस्ट्री को नियंत्रित और व्यवस्थित करने के लिए सरकार नियामकीय एजेंसी बनाने को लेकर गंभीरता से विचार कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ई-कॉमर्स इंडस्ट्री को व्यवस्थित करने के साथ ही इस क्षेत्र में काम कर रही सभी कंपनियों को बराबरी का मौका देने के पक्ष में है, ताकि किसी कंपनी विशेष का दबदबा न बन पाए।

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माना जा रहा है कि सरकार एक हफ्ते के भीतर ई-कॉमर्स कारोबार को लेकर नई पॉलिसी जारी कर सकती है। भारत में यह इंडस्ट्री 41 अरब डॉलर का है, जो एशिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था में करीब 10 करोड़ कंज्यूमर्स को खरीदारी का मौका देता है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक नई नीति से जहां पूरे सेक्टर को ताकत मिलेगी वहीं निर्यात में भी इजाफा होगा। इसके साथ ही सभी छोटी-बड़ी कंपनियों को बराबरी का मौका मिलेगा। इसके साथ ही सरकार इस इंडस्ट्री के नियामक बनाने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है।

गौरतलब है कि बुधवार को सरकार ने एमेजॉन और वॉलमार्ट के फ्लिपकार्ट समूह जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों पर सख्त नियम लगाते हुए साफ कर दिया था कि अब वह उन कंपनियों के प्रॉडक्ट्स नहीं बेच सकतीं, जिनमें उनकी हिस्सेदारी हैं।

सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि ये कंपनियां अब सामान बेचने वाली कंपनियों के साथ 'एक्सक्लूसिव एग्रीमेंट' नहीं कर सकतीं। नए नियम एक फरवरी से लागू किए जाने हैं। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा है, 'कोई भी ऐसी इकाई (या कंपनी) जिसमें ई-कॉमर्स कंपनी या उस समूह की दूसरी कंपनी की इक्विटी (हिस्सेदारी) है या फिर इनवेंटरी (सामान) पर नियंत्रण है, उसे ई-कॉमर्स कंपनी के प्लेटफॉर्म पर सामान बेचने की मंजूरी नहीं होगी।

सरकार का यह फैसला बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए झटके की तरह है। छोटे कारोबारियों को इस बात की आशंका सता रही थी कि ई-कॉमर्स कंपनियां उनके कारोबार को नुकसान पहुंचा सकती हैं। छोटी कंपनियों को इन बड़ी कंपनियों की तरफ से दिए जा रहे भारी डिस्काउंट को लेकर समस्या है, जिसकी वजह से उनका कारोबार सिकुड़ रहा है।

इस साल मई में वॉलमार्ट ने 16 अरब डॉलर में देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन कंपनी फ्लिपकार्ट को खरीद लिया है। इस डील के बाद से अमेरिकी दिग्गज वॉलमार्ट को भारती ई बाजार में प्रवेश करने का मौका मिल गया है। भारत का ई-कॉमर्स बाजार मुख्य रूप से एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के बीच बंटा हुआ है।

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