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टैक्स दरों में सुधार के लिए पहली बार हो रही रायशुमारी, सरकार ने उद्योग जगत से मांगी राय

इससे पहले इकोनॉमी को गति देने के लिए मंत्रालय ने पिछले 20 सितंबर को घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स 30 परसेंट से घटाकर 22 परसेंट कर दिया था।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 09:05 AM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 09:05 AM (IST)
टैक्स दरों में सुधार के लिए पहली बार हो रही रायशुमारी, सरकार ने उद्योग जगत से मांगी राय
टैक्स दरों में सुधार के लिए पहली बार हो रही रायशुमारी, सरकार ने उद्योग जगत से मांगी राय

नई दिल्ली, पीटीआइ। आम बजट में टैक्स सुधारों के लिए वित्त मंत्रालय उद्योग जगत और उससे जुड़े विभिन्न संगठनों-संस्थाओं से रायशुमारी कर रहा है। यह शायद पहला मामला है, जब मंत्रालय प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर में सुधार के लिए इस तरह की प्रक्रिया अपना रहा है। अगला आम बजट पहली फरवरी को पेश किया जाना है।

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वित्त मंत्रालय इस समय बजट की तैयारियों में जुटा हुआ है। मंत्रालय इसके लिए अलग-अलग सेक्टरों के प्रतिनिधियों और हितधारकों के साथ विचार-विमर्श कर रहा है। इसी प्रक्रिया के तहत मंत्रालय के राजस्व विभाग ने एक सकरुलर जारी किया है। इसमें व्यक्तिगत और कॉरपोरेट टैक्स के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष टैक्स दरें निर्धारित करने हेतु सलाह मांगी गई है। इसी महीने की 11 तरीख को जारी किए इस सकरुलर में इंडस्ट्री और उद्योग संगठनों से शुल्क का ढांचा, दरें और टैक्स आधार बढ़ाने के बारे में सुझाव देने को कहा गया है।

गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुआई में वित्त मंत्रलय लगातार टैक्स सुधारों को लागू कर रहा है। इससे पहले इकोनॉमी को गति देने के लिए मंत्रालय ने पिछले 20 सितंबर को घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स 30 परसेंट से घटाकर 22 परसेंट कर दिया था। इसके बाद सभी तरह के अतिरिक्त कर मिलाकर प्रभावी टैक्स दर 25.2 परसेंट रह गई है। इसके अलावा इसी वर्ष अक्टूबर के बाद शुरू हुई कंपनियों के लिए टैक्स दर 25 परसेंट से घटाकर 15 परसेंट कर दी गई थी। हालांकि मंत्रालय के इस फैसले के बाद चालू वित्त वर्ष के दौरान राजस्व में 1.45 लाख करोड़ रुपये की कमी आने की आशंका जताई गई है।

कॉरपोरेट टैक्स में कमी के बाद अब आयकर की दरें घटाने की मांग भी उठ रही है। कहा जा रहा है कि इससे लोगों के पास खर्च के लिए अतिरिक्त राशि बचेगी। लोगों द्वारा किया जाने वाला खर्च बढ़ने से खपत में इजाफा होगा, जिससे इकोनॉमी को गति मिलेगी।


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