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औद्योगिक कर्मचारियों के लिए खुदरा महंगाई की नई श्रृंखला जारी, आधार वर्ष में किया गया बदलाव

सीपीआई- आईडब्ल्यू का इस्तेमाल मुख्य रूप से सरकारी कर्मचारियों और औद्योगिक क्षेत्र के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (डीए) के नियमन के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल अनुसूचित कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन तय करने और उसमें संशोधन करने तथा खुदरा मूल्यों की गणना के लिए होता है।

By NiteshEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 08:01 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 10:12 AM (IST)
औद्योगिक कर्मचारियों के लिए खुदरा महंगाई की नई श्रृंखला जारी, आधार वर्ष में किया गया बदलाव
Government revises base year for CPI IW adds weight to housing education health

नई दिल्ली, पीटीआइ। औद्योगिक कर्मचारियों के लिए खुदरा महंगाई की नई श्रृंखला (सीपीआई-आईडब्ल्यू) जारी की गई है। इसमें आधार वर्ष को संशोधित कर 2016 किया गया है। पहले यह 2001 था। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उपभोक्ता मूल्य सूकांकाक- औद्योगिक कर्मचारी (सीपीआई-आईडब्ल्यू) एकल अत्यंत महत्वपूर्ण मूल्य सांख्यिकी है, जिसका वित्तीय प्रभाव होता है। 

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सीपीआई- आईडब्ल्यू का इस्तेमाल मुख्य रूप से सरकारी कर्मचारियों और औद्योगिक क्षेत्र के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (डीए) के नियमन के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल अनुसूचित कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन तय करने और उसमें संशोधन करने तथा खुदरा मूल्यों की गणना के लिए होता है। 

गंगवार ने बयान में कहा कि भविष्य में आधार संशोधन प्रत्येक पांच साल में किया जाएगा। मंत्रालय ने बयान में कहा, 'श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार ने आधार वर्ष 2016 के साथ औद्योगिक कर्मचारियों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की नई श्रृंखला जारी की है।' 

नई श्रृंखला वाली सीपीआई (आईडब्ल्यू) में आधार वर्ष 2016 होगा। यह मौजूदा 2001 श्रृंखला का स्थान लेगी। इससे पहले श्रृंखला को संशोधित कर 1944 से 1949, 1949 से 1960, 1960 से 1982 और 1982 से 2001 किया गया था। 

श्रम मंत्री ने श्रम ब्यूरो के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि उसके प्रयासों से हम अंतत: नई श्रृंखला पेश कर रहे हैं। गंगवार ने कहा कि नीति निर्माण के लिए श्रम से जुड़े सभी पहलुओं के आंकड़े जरूरी होते है। ऐसे में श्रम ब्यूरो जैसे संगठनों का अपना महत्व है। 

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ), सूचकांक समीक्षा समिति (आईआरसी) और राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की सिफारिशों के अनुसार मूल्य सूचकांक के आधार वर्ष में नियमित आधार पर संशोधन होना चाहिए। यह संशोधन प्रत्येक 10 साल से पहले होना चाहिए।


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