केंद्र ने राज्यों को किया जीएसटी कंपनसेशन का भुगतान, जारी हुई 35000 करोड़ रुपये की राशि
वैसे माना जा रहा है कि काउंसिल की बैठक में जीएसटी रेवेन्यू की धीमी रफ्तार को लेकर ही चर्चा होनी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की बैठक से दो दिन पूर्व केंद्र सरकार ने राज्यों को जीएसटी कंपनसेशन के मद में 35000 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी है। रेवेन्यू की धीमी रफ्तार की वजह से वित्तीय दिक्कतों से जूझ रहे राज्य इसकी पुरजोर मांग कर रहे थे। बुधवार को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में भी इस मुद्दे के हावी होने की आशंका बन गई थी। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स (सीबीआइसी) ने एक ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। ट्वीट के मुताबिक 'केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जीएसटी कंपनसेशन के 35298 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी है।'
पिछले कुछ दिनों से राज्य केंद्र पर कंपनसेशन के भुगतान का निरंतर दबाव बनाए हुए थे। गैर भाजपा शासित राज्यों के वित्त मंत्रियों और उनके प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर जीएसटी कंपनसेशन के भुगतान में हो रही देरी को लेकर अपनी चिंताओं से अवगत भी कराया था। राज्यों का कहना था कि भुगतान में हो रही देरी के चलते विकास से संबंधित कार्य बाधित हो रहे हैं। वित्त मंत्री ने भी कई मंचों से राज्यों को आश्वस्त किया था कि सरकार जल्दी ही इस राशि का भुगतान करेगी। सोमवार को भी यह राशि जारी होने से पूर्व वित्त मंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा कि केंद्र राज्यों को जीएसटी कंपनसेशन के भुगतान के वादे से नहीं मुकरेगा। उनका कहना था कि कंपनसेशन की राशि जारी करने में देरी कलेक्शन में हो रही देरी रही। वित्त मंत्री ने कहा 'निश्चित ही यह उनका अधिकार है। मुझे इस बात से इनकार नहीं है। लेकिन मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि हम इसे नहीं रोक रहे। राज्यों को इसका भुगतान किया जाएगा।'
गैर भाजपा शासित राज्यों की तरफ से जीएसटी कंपनसेशन का मुद्दा जीएसटी काउंसिल की बैठक में जोर शोर से उठाने की तैयारी थी। सूत्रों का कहना है कि इसके चलते काउंसिल की बैठक प्रभावित हो सकती थी। वैसे माना जा रहा है कि काउंसिल की बैठक में जीएसटी रेवेन्यू की धीमी रफ्तार को लेकर ही चर्चा होनी है। राज्यों की तरफ से अधिकारियों की समिति की बैठक में रेवेन्यू बढ़ाने के कई उपाय भी सुझाये हैं। हालांकि सूत्र बैठक में दरों में वृद्धि जैसे किसी निर्णय की संभावनाओं से इनकार कर रहे हैं।