लेदर एवं फुटवियर उद्योग के लिए प्रोत्साहन योजना अवधि बढ़ाने पर विचार
सरकार चमड़ा एवं फुटवियर उद्योग में मैन्युफैक्चरिंग निर्यात व रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के विभिन्न उपायों पर काम कर रही है। इसके लिए सेक्टर की प्रोत्साहन योजना आइएफएलएडीपी को 1700 करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च के साथ 2025-26 तक बढ़ाया जा सकता है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार चमड़ा एवं फुटवियर उद्योग में मैन्युफैक्चरिंग, निर्यात व रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के विभिन्न उपायों पर काम कर रही है। इसके लिए सेक्टर की प्रोत्साहन योजना भारतीय फुटवियर, चमड़ा और एसेसरीज विकास कार्यक्रम (आइएफएलएडीपी) को 1,700 करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च के साथ 2025-26 तक बढ़ाया जा सकता है। एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इससे सेक्टर में मैन्युफैक्चरिंग, निर्यात और रोजगार सृजन को और प्रोत्साहन मिल सकेगा।
अधिकारी ने बताया कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 1,700 करोड़ रुपये के खर्च के साथ आइएफएलएडीपी के क्रियान्वयन का प्रस्ताव सौंपा है। यह राशि 2021-22 से 2025-26 तक खर्च की जाएगी। इस प्रस्ताव को जल्द केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है। इस कार्यक्रम के तहत छह प्रमुख तत्वों में से सतत प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरणीय संवर्धन करीब 500 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
चमड़ा क्षेत्र के एकीकृत विकास पर भी 500 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है। सरकार इस क्षेत्र में संस्थागत सुविधाओं की स्थापना पर 200 करोड़ रुपये, चमड़ा फुटवियर एवं एक्सेसरीज के मेगा क्लस्टर विकास पर 300 करोड़ रुपये, चमड़ा और फुटवियर क्षेत्र में भारतीय ब्रांड्स के प्रचार-प्रसार पर 100 करोड़ रुपये और डिजाइन स्टूडियो का विकास पर 100 करोड़ रुपये निवेश का लक्ष्य रख रही है।
अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय के प्रस्ताव को व्यय वित्त समिति पहले ही मंजूरी दे चुकी है। इससे पहले आइएफएलएडीपी को 2,600 करोड़ रुपये के खर्च के साथ 2017-18 से 2019-20 तक यानी तीन वित्त वर्षो के लिए मंजूरी दी गई थी।
केंद्र का उत्पाद शुल्क संग्रह 48 फीसद बढ़ा
इसी बीच एक रिपोर्ट के मुताबिक पेट्रोलियम उत्पादों पर सरकार का उत्पाद शुल्क संग्रह चालू वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों (अप्रैल-जुलाई) में 48 फीसद बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। यह पूरे वित्त वर्ष के दौरान आयल बांड देनदारी का तीन गुना है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में उत्पाद शुल्क संग्रह 67,895 करोड़ रुपये था।जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद उत्पाद शुल्क केवल पेट्रोल, डीजल, विमान ईधन यानी एटीएफ और प्राकृतिक गैस पर लगाया जाता है। इन उत्पादों को छोड़कर अन्य सभी वस्तुएं और सेवाएं जीएसटी के तहत हैं।