सिर्फ घरेलू ही नहीं 98 देशों में आपके लेनदेन पर है सरकार की नजर, ITR दाखिल करने वालों की संख्या बढ़ाने में मिलेगी मदद
वित्त सचिव ने बताया कि सरकार राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले लेनदेन का डाटा हासिल करने के साथ उन 98 देशों से भी डाटा हासिल कर रही है जिनसे भारत की कर संधि है। PC pixabay.com
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर भुगतान में कोताही करने वालों को सतर्क हो जाने की जरूरत है। सरकार देश ही नहीं बल्कि विदेश में किए जाने वाले लेनदेन पर भी नजर रख रही है। उद्योग संगठन फिक्की के एक कार्यक्रम में वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने बताया कि सरकार राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले लेनदेन का डाटा हासिल करने के साथ उन 98 देशों से भी डाटा हासिल कर रही है जिनसे भारत की कर संधि है। उन्होंने कहा कि कर प्रणाली पूरी तरह से ट्रांजेक्शन डाटा पर आधारित होने जा रही है। कर सुधारों की वजह से देश में कर भुगतान के तरीके भी बदल जाएंगे।
पांडेय ने कहा कि बड़े लेनदेन, निकासी, स्टॉक की खरीद-फरोख्त, विदेश यात्रा जैसी सूचनाएं अब कर प्रणाली में उपलब्ध होंगी और कर के मूल्यांकन के दौरान इनको आधार बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि करदाता को यह नहीं मानना चाहिए कि सरकार जबरन कर वसूलने वाली एजेंसी है, बल्कि उन्हें सरकार को सुविधा प्रदाता के रूप में देखना चाहिए। कर प्रणाली में फेसलेस प्रक्रिया लागू किए जाने पर उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार और करदाताओं को तंग करने की नीयत को समाप्त करना है। करदाता अक्सर इस तरह की शिकायत करते थे। फेसलेस व्यवस्था के तहत कर जांच के मामलों में अधिकारी और करदाता का कोई आमना-सामना नहीं होता है।
आयकर विशेषज्ञों के मुताबिक कर प्रणाली को पूरी तरह से ट्रांजेक्शन डाटा आधारित बनाने से इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने वालों की संख्या के साथ कर देने वालों की भी संख्या बढ़ जाएगी। अभी देश में सात करोड़ आइटीआर दाखिल किए जाते हैं जबकि इनमें से 1.5 करोड़ आइटीआर ही हैं, जिनसे सरकार को टैक्स मिल पाता है। आयकर कानून के जानकार एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) मनीष गुप्ता ने बताया कि अगले दो साल में आइटीआर की संख्या सात से बढ़कर 12 करोड़ हो सकती है। इसकी मुख्य वजह है कि अब आपके ट्रांजेक्शन की सारी सूचनाएं पहले ही निकाल ली जाएंगी और आपके फॉर्म 26एएस में इसे डाल दिया जाएगा। जाहिर है कि आपके लेनदेन की सारी सूचनाएं कर विभाग के पास पहले से होंगी।
उन्होंने बताया कि अभी किसी करदाता पर कर चोरी का शक होने पर उसकी वार्षिक सूचना रिपोर्ट (AIR) निकाली जाती थी और उसके आधार पर जांच होती थी। ट्रांजेक्शन डाटा पर आधारित होने से अब पहले से ही एआइआर उपलब्ध होगी और विभाग को कोई करदाता किसी प्रकार के भ्रम में नहीं डाल सकेगा।