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सरकारी से निजी होने वाले बैंकों के कर्मचारियों के हितों को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है सरकार: वित्त मंत्री

वित्त मंत्री ने कहा ‘‘चाहे बैंक हो या फिर किसी अन्य इकाई का निजीकरण...जिन कर्मचारियों ने वर्षों अपनी सेवाएं दी हैं उनके हितों की रक्षा की जाएगी। चाहे बात वेतन की हो या फिर उनके पद या फिर पेंशन की सभी हितों का ध्यान रखा जाएगा।’’

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 10:30 PM (IST)Updated: Wed, 17 Mar 2021 12:10 PM (IST)
सरकारी से निजी होने वाले बैंकों के कर्मचारियों के हितों को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है सरकार: वित्त मंत्री
Finance Minister N M P C : ANI

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार पब्लिक सेक्टर के सभी बैंकों का निजीकरण नहीं करेगी।  वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार का मकसद सिर्फ बैंकों का निजीकरण करना ही नहीं है, बल्कि सरकारी से निजी होने वाले बैंकों के विकास और उनके कर्मचारियों के हितों को भी सुनिश्चित करना है। चाहे वह कर्मचारियों की पेंशन का मामला हो या उनके वेतन का। उन्होंने कहा, 'सरकार का इरादा सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण करना नहीं है। कुछ सरकारी बैंक काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और कुछ ठीक-ठाक। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इन बैंकों को काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।'

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वित्त मंत्री ने यह बात ऐसे समय कही है कि जब बैंकों के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में बैंक यूनियनों ने दो दिन की हड़ताल की है। एक संवाददाता सम्मेलन में सवालों के जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया कि बैंकिंग क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की उपस्थिति बनी रहेगी। उन्होंने कहा, ''हमने पब्लिक इंटरप्राइज पॉलिसी की घोषणा की है, जहां हमने चार ऐसे क्षेत्रों की पहचान की है जिनमें पब्लिक सेक्टर की उपस्थिति रहेगी। इनमें फाइनेंशियल सेक्टर भी शामिल है। सभी बैंकों का निजीकरण नहीं किया जाएगा।''

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘चाहे बैंक हो या फिर किसी अन्य इकाई का निजीकरण...जिन कर्मचारियों ने वर्षों अपनी सेवाएं दी हैं, उनके हितों की रक्षा की जाएगी। चाहे बात वेतन की हो या फिर उनके पद या फिर पेंशन की, सभी हितों का ध्यान रखा जाएगा।’’

वित्त मंत्री ने कहा कि जिन बैंकों का निजीकरण होना है, उनका परिचालन निजीकरण के बाद भी जारी रहेगा और कर्मचारियों के हितों की रक्षा की जाएगी। बता दें कि वित्त मंत्री ने एक फरवरी को अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी का 2021-22 में निजीकरण का प्रस्ताव करती है। इसके लिये कानून में संशोधन की जरूरत होगी और उन्होंने संसद के मौजूदा बजट सत्र में संशोधन रखे जाने का प्रस्ताव किया था।

वहीं, भारतीय रेलवे के निजीकरण को लेकर संसद में उठे सवालों पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को साफ किया कि भारतीय रेलवे का निजीकरण कभी नहीं होगा। रेलवे हर भारतीय की संपत्ति है और उसी की रहेगी। रेल भारत सरकार के पास ही रहेगी। यात्रियों को अच्छी सुविधाएं और रेलवे के जरिये देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए निजी क्षेत्र का निवेश देशहित में होगा। देश तभी उच्च वृद्धि की दिशा में प्रगति और रोजगार के अवसरों का सृजन कर सकता है जब सरकारी व निजी क्षेत्र मिलकर काम करेंगे। रेल मंत्री लोकसभा में रेलवे की अनुदान मांगों पर हुई बहस का जवाब दे रहे थे।

पीयूष गोयल ने कहा, 'दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, कई सांसद निजीकरण और कारपोरेटाइजेशन का आरोप लगाते हैं। मैं सभी सांसदों को विश्वास दिलाता हूं कि भारतीय रेल प्राइवेटाइज नहीं होगी और भारत सरकार की ही रहेगी।' उन्होंने भविष्य की योजना का संकल्प लेते हुए कहा कि आने वाले दिनों में रेलवे पूरी तरह रिन्यूएबल एनर्जी पर निर्भर होगी। वर्ष 2023 तक रेलवे का शत प्रतिशत विद्युतीकरण कर दिया जाएगा। जबकि ज्यादा से ज्यादा स्टेशनों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बना दिया जाएगा।


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