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क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की घटेगी संख्या, कार्यक्षमता को किया जाएगा बेहतर

आरआरबी के प्रायोजक बैंक भी राज्यों के भीतर उनकी संख्या कम करने पर काम कर रहे हैं

By Surbhi JainEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 11:39 AM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 11:39 AM (IST)
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की घटेगी संख्या, कार्यक्षमता को किया जाएगा बेहतर
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की घटेगी संख्या, कार्यक्षमता को किया जाएगा बेहतर

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। राष्ट्रीय स्तर के सार्वजनिक बैंकों की संख्या कम करने की ओर कदम उठा चुकी सरकार ने अब क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) की तादाद घटाने पर काम शुरू कर दिया है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार 56 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की मौजूदा संख्या को 36 पर लाना चाहती है। अधिकारी के मुताबिक सरकार ने इस बारे में राज्यों से विमर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है, क्योंकि वे क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के मुख्य प्रायोजकों में एक हैं। आरआरबी के प्रायोजक बैंक भी राज्यों के भीतर उनकी संख्या कम करने पर काम कर रहे हैं।

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सरकार का यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि पिछले दिनों ही उसने सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बड़े बैंकों, बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी), देना बैंक और विजया बैंक के विलय का फैसला किया है। अधिकारी का कहना था कि आरआरबी की संख्या घटाने से उनकी कार्यक्षमता बेहतर हो सकेगी। उनकी उत्पादकता बढ़ेगी और वित्तीय हालत भी सुधरेगी। अधिकारी के मुताबिक नई व्यवस्था के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज की बेहतर पहुंच बन पाएगी। ग्रामीण बैंकों के प्रस्तावित विलय से उन्हें अपना अतिरिक्त खर्च घटाने, तकनीक का बेहतरीन उपयोग कर पाने और पूंजी आधार तथा भौगोलिक कार्यक्षेत्र बढ़ाने में मदद मिलेगी।

आरआरबी अधिनियमन 1976 के तहत क्षेक्षीय ग्रामीण बैंकों का गठन किया गया है। इसका उद्देश्य छोटे किसानों, कृषि, श्रमिकों और ग्रामीण क्षेत्र में कारीगरों को कर्ज और अन्य सुविधाएं मुहैया कराना था। इस कानून में वर्ष 2015 में संशोधन किया गया।


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