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Goldman Sachs ने GDP Growth का अनुमान फिर घटाया, 1.6% की वृद्धि दर का अनुमान

Goldman Sachs ब्रोकरेज फर्म ने इससे पहले 22 मार्च के अपने अनुमान में कहा था कि देश में वित्त वर्ष 2020-21 में GDP की वृद्धि की रफ्तार 3.3 फीसद के आसपास रहेगी।

By Ankit KumarEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 06:04 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 10:04 PM (IST)
Goldman Sachs ने GDP Growth का अनुमान फिर घटाया, 1.6% की वृद्धि दर का अनुमान
Goldman Sachs ने GDP Growth का अनुमान फिर घटाया, 1.6% की वृद्धि दर का अनुमान

मुंबई, पीटीआइ। कोविड-19 की वजह से चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक विकास दर लुढ़ककर 1.6 फीसद पर आ सकती है। अमेरिका की ब्रोकरेज फर्म Goldman Sachs ने बुधवार को यह अनुमान जाहिर किया। Goldman Sachs के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि भारत के नीति निर्माताओं ने इस संकट से निपटने के लिए अब तक बहुत आक्रामक रुख नहीं दिखाया है और उन्हें अपने प्रयासों को बढ़ाने को जरूरत है। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर के घटकर एक दशक के निचले स्तर पांच फीसद पर आ जाने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में कोरोनावायरस महामारी ने इस समस्या को और विकट बना दिया है।

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कई विश्लेषकों ने कोरोनवायरस के चलते वृद्धि रफ्तार में कमी का अनुमान जताया है लेकिन पूरे साल के लिए यह सबसे धीमी दर से वृद्धि का अनुमान है। Goldman Sachs की इस हालिया रिपोर्ट में कहा गया है, ''नीतिगत सपोर्ट और आगे भी इसके जारी रहने की उम्मीद के बीच हमारा मानना है कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और वायरस को लेकर लोगों में बढ़ती चिंता की वजह से मार्च और अगली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में भारी कमी आ सकती है।'' 

ब्रोकरेज फर्म ने इससे पहले 22 मार्च के अपने अनुमान में कहा था कि देश में वित्त वर्ष 2020-21 में GDP की वृद्धि की रफ्तार 3.3 फीसद के आसपास रहेगी। एजेंसी ने कहा है कि 1.6 फीसद की वृद्धि दर 1970, 1980  के दशकों और 2009 की मंदी से भी कम वृद्धि दर को दिखाता है।

ब्रोकरेज फर्म ने कहा है कि विकास दर में दर्ज की जा रही मौजूदा कमी पहले की मंदी से अलग है क्योंकि अभी लोगों के दिमाग में डर है, जो पहले नहीं हुआ करता था। 

इस रिपोर्ट में कहा गया है, ''अगर उदाहरण के लिए 2009 से तुलना की जाए तो हमें लगता है कि भारत की नीति निर्माताओं की ओर से कम बड़ा प्रोत्साहन पैकेज दिया गया है।'' कंपनी का कहना है कि उसे लगता है कि आरबीआइ की ओर से ब्याज दर में 0.75 फीसद की कटौती एवं सरकार की ओर से जारी 1.75 लाख करोड़ रुपये आर्थिक पैकेज के बाद भी सरकार अन्य कदम उठाएगी।


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