देश में बढ़ी दुनिया में घटी सोने की मांग
सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद सोने के प्रति भारतीयों का मोह भंग होता नहीं दिख रहा है। बंदिशों के चलते पीली धातु का आयात भले ही घट गया हो मगर इसकी मांग बरकरार है। जाहिर है कि मांग को पूरा करने के लिए आयातित और पुराने सोने के अलावा तस्करी के सोने को भी घरेलू बाजार में धड़ल्ले से खपाया जा रहा है।
मुंबई। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद सोने के प्रति भारतीयों का मोह भंग होता नहीं दिख रहा है। बंदिशों के चलते पीली धातु का आयात भले ही घट गया हो मगर इसकी मांग बरकरार है। जाहिर है कि मांग को पूरा करने के लिए आयातित और पुराने सोने के अलावा तस्करी के सोने को भी घरेलू बाजार में धड़ल्ले से खपाया जा रहा है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2013 में देश में पीली धातु की मांग 13 फीसद बढ़ी है। जबकि पूरी दुनिया में इसमें 15 फीसद की कमी आई है।
डब्ल्यूजीसी इंडिया के एमडी सोमसुंदरम पीआर ने मंगलवार को रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि वर्ष 2012 में देश में 864 टन सोने की खपत हुई थी। 2013 में यह बढ़कर 975 टन पहुंच गई। वहीं, पूरी दुनिया में मांग 2012 के 4,415.8 टन के मुकाबले घटकर 3,756 टन रह गई। दूसरी छमाही में बंदिशों से मांग में कमी जरूर आई। मगर घरेलू उपभोक्ताओं ने पहली छमाही में जबरदस्त खरीदारी कर ली थी। अप्रैल में कीमतों में कटौती का भी काफी लोगों ने फायदा उठाया। पिछले साल गहनों की मांग 552 टन के मुकाबले 11 फीसद बढ़कर 612.7 टन हो गई। इसकी कीमत 1,61,750.6 करोड़ रुपये रही। इस दौरान निवेश मांग 16 फीसद बढ़कर 362.1 टन हो गई। इसकी कीमत 95,460.8 करोड़ रुपये आंकी गई है।
रिपोर्ट में सोने की तस्करी का मुद्दा भी उठाया गया है। सोमसुंदरम ने कहा कि पिछले साल हर महीने लगभग 30 टन सोना तस्करी के जरिये देश में लाया गया। यह आंकड़ा इससे ज्यादा भी हो सकता है। यदि आयात पर अंकुश जारी रहा तो इसका असली प्रभाव आने वाले वित्त वर्ष में दिखाई देगा। डब्ल्यूजीसी का अनुमान है कि 2014 में सोने की मांग करीब 1,000 टन रहेगी।
भारत से आगे निकला चीन
दुनिया का सबसे बड़ा सोना उपभोक्ता का तमगा भारत से छिन गया है। डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट के अनुसार, देश ने पहली बार यह स्थान चीन के हाथों गंवा दिया है। पड़ोसी देश में पिछले साल सोने की मांग 1,056.8 टन रही। भारत से उलट चीन ने सोने का आयात बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। 2014 में भी चीन में मांग 1,100 टन के आसपास रह सकती है।