दिसंबर तिमाही में GDP ग्रोथ रेट के और घटकर 4.3 फीसद रहने का अनुमान: Nomura
Nomura ने कहा है कि साल 2020 की पहली तिमाही अर्थात वित्त वर्ष 2019-20 की अंतिम तिमाही में भारत की ग्रोथ रेट में मामूली सुधार देखा जाएगा जिससे यह 4.7 फीसद रह सकती है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर का इस साल अक्टूबर से दिसंबर महीने की तिमाही में और घटकर 4.3 फीसद रहने का अनुमान है। जापान की वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी नोमुरा ने एनबीएफसी सेक्टर के संकट को देखते हुए यह अनुमान लगाया है। इससे पहले दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर की ग्रोथ रेट गिरकर 4.5 फीसद पर पहुंच गई थी। नोमुरा का मानना है कि तीसरी तिमाही में ग्रोथ रेट में कमी आएगी।
साथ ही नोमुरा ने कहा है कि साल 2020 की पहली तिमाही अर्थात वित्त वर्ष 2019-20 की अंतिम तिमाही में भारत की ग्रोथ रेट में मामूली सुधार देखा जाएगा, जिससे यह 4.7 फीसद रह सकती है।
वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी नोमुरा की चीफ इकोनॉमिस्ट (भारत और एशिया) सोनल वर्मा ने बताया कि NBFC संकट लंबा चलने के कारण डोमेस्टिक लोन अवेबिलिटी की हालत गंभीर बनी हुई है। बाजार का मानना है कि देश की GDP ग्रोथ रेट अपने निचले स्तर है और अब इसमें आगे सुधार होगा। वहीं, नोमुरा का कहना है कि ग्रोथ रेट में अभी और कमी आ सकती है।
पूरे साल का ग्रोथ रेट भी घटाया
नोमुरा ने साल 2019 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान भी घटा दिया है। कंपनी ने इस अनुमान को 5.3 फीसद से घटाकर 4.9 फीसद कर दिया है। यही नहीं, कंपनी ने साल 2020 के लिए भी जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को घटाकर 5.5 फीसद कर दिया है, जो पहले 6.3 फीसद था। इसके अलावा नोमुरा ने साल 2021 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.5 फीसद बताया है।
वित्त वर्ष 2019-20 में 4.7 फीसद रहेगी जीडीपी ग्रोथ
नोमुरा ने वित्त वर्ष के हिसाब से भी जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान बताया है। नोमुरा की चीफ इकोनॉमिस्ट सोनल वर्मा ने बताया कि वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ रेट 4.7 फीसद और वित्त वर्ष 2020-21 में 5.7 फीसद रह सकती है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के सुधार में देरी हो रही है।
फरवरी में भी RBI नहीं करेगा दरों में कटौती
नोमुरा ने आरबीआई द्वारा रेपो रेट में आगामी कटौती पर भी अपना अनुमान बताया। नोमुरा ने बताया कि साल 2020 की पहली एमपीसी की बैठक में दरों को स्थिर रखा जाएगा और दूसरी तिमाही यानी अप्रैल-जून में आरबीआई द्वारा रेपो रेट में कटौती की जा सकती है।