कंपनियों को तेल सब्सिडी के मिलेंगे एक लाख करोड़
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कंपनियों को वित्त वर्ष 2012-13 के लिए रिकॉर्ड एक लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी मिलेगी। वित्त मंत्रालय यह राशि देने पर राजी हो गया है। मगर कहा है कि उन्हें चालू वित्त वर्ष 2013-14 से कीमत फार्मूले में बदलाव करना होगा ताकि सब्सिडी का बोझ घटाया जा सके। इस राशि में से 55 हजार करोड़ रुपये पहले
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कंपनियों को वित्त वर्ष 2012-13 के लिए रिकॉर्ड एक लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी मिलेगी। वित्त मंत्रालय यह राशि देने पर राजी हो गया है। मगर कहा है कि उन्हें चालू वित्त वर्ष 2013-14 से कीमत फार्मूले में बदलाव करना होगा ताकि सब्सिडी का बोझ घटाया जा सके। इस राशि में से 55 हजार करोड़ रुपये पहले ही कंपनियों को नगद दिए जा चुके हैं। उनकी वित्तीय सेहत बरकरार रखने के लिए अब 45 हजार करोड़ रुपये और दिए जाएंगे। वित्त मंत्री पी चिदंबरम और पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली की बुधवार को हुई बैठक में इस पर सहमति बनी।
तेल कंपनियां डीजल, केरोसिन और एलपीजी की बिक्री सरकार द्वारा नियंत्रित कीमत पर करती हैं। लागत और बिक्री के इस अंतर की भरपाई सब्सिडी से की जाती है। कुल अंडर रिकवरी में से करीब एक तिहाई का भुगतान तेल व गैस उत्पादक कंपनियां [अपस्ट्रीम कंपनियां] ओएनजीसी, गेल और ऑयल इंडिया करती हैं। बाकी राशि का भुगतान सरकार की ओर से किए जाने की व्यवस्था है। मगर खजाने की बिगड़ी हालत के चलते एक ओर वित्त मंत्रालय सब्सिडी घटाने की जुगत में लगा हुआ है, वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों की वजह से कंपनियों का नुकसान लगातार बढ़ रहा है।
बैठक के बाद मोइली ने संवाददाताओं को बताया कि सब्सिडी का मसला सुलझ चुका है। तीनों तेल कंपनियां आइओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल इस महीने के अंत तक अपने खाते में इसका समायोजन करेंगी। लागत से कम मूल्य पर पेट्रो उत्पादों की बिक्री से इन कंपनियों की अंडररिकवरी पिछले वित्त वर्ष में एक लाख 61 हजार 29 करोड़ रुपये रही है। मोइली के मुताबिक 55 हजार करोड़ सरकार की ओर से और 45 हजार करोड़ अपस्ट्रीम कंपनियों की ओर पहले ही मिल चुके हैं। बाकी 60 हजार करोड़ की अंडररिकवरी में से अपस्ट्रीम कंपनियों की ओर से और 15 हजार करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। तेल कंपनियों को शेष राशि का भुगतान सरकार की ओर से किया जाएगा।
कीमत फार्मूले में बदलाव के बारे में मोइली ने कहा कि यह मामला किरीट पारेख समिति को सौंपा गया है। उसकी सिफारिश पर ही कोई फैसला किया जाएगा। वित्त मंत्रालय पेट्रो उत्पादों की कीमतों को निर्यात आधारित बनाना चाहता। इससे करीब 18 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी बचेगी। मगर इस प्रस्ताव का तेल मंत्रालय विरोध कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक अगर यह प्रस्ताव लागू हो जाता है तो रिलायंस इंडस्ट्रीज और एस्सार ऑयल जैसी निजी कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ेगा।