ब्रिटेन के साथ दो साल से पहले FTA संभव नहीं, कई दृष्टिकोण पर करना होता है विचार: वाणिज्य मंत्री
वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल का मानना है कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने में कम से कम दो साल का समय लग सकता है। इसकी वजह है कि किसी भी एफटीए को करने में कई दृष्टिकोण पर विचार करना होता है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल का मानना है कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने में कम से कम दो साल का समय लग सकता है। इसकी वजह है कि किसी भी एफटीए को करने में कई दृष्टिकोण पर विचार करना होता है। ब्रेक्जिट के बाद भारत और ब्रिटेन के कारोबारी रिश्तों पर औद्योगिक संगठन सीआइआइ द्वारा आयोजित सत्र में दोनों देशों के बीच एफटीए की समय सीमा के बारे में गोयल ने कहा कि यह उनके लिए खुशी की बात होगी, अगर यह एफटीए अगले साल तक हो जाता है।
उन्होंने कहा कि उनका अपना मानना है कि तेज गति से बढ़ने पर भी दो साल लग जाएंगे। वहीं ब्रिटेन की तरफ से सत्र में कहा गया कि दोनों देश एडवांस कारोबारी समझौते की ओर बढ़ रहे हैं जो भविष्य में एफटीए का रोडमैप तैयार करेगा।
गोयल ने कहा कि जल्द ही भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए की समय सीमा निर्धारित करने के लिए बैठक की जाएगी। ब्रिटेन के साथ भारत मुख्य रूप से सुरक्षा, खाद्य प्रसंस्करण, केमिकल्स, ड्रग्स व फार्मा, प्राकृतिक गैस व फिनटेक जैसे क्षेत्रों में कारोबार व निवेश की गतिविधियों को बढ़ाना चाहता है।
दोनों देश शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, एक-दूसरे देश में आवाजाही जैसे क्षेत्रों में साथ काम करने को लेकर पहले ही राजी हो चुके हैं। यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने (ब्रेक्जिट) के बाद भारत और ब्रिटेन का कारोबारी रिश्ता एक दूसरे के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा।
गोयल ने कहा कि ब्रिटेन के साथ कारोबारी समझौते को भारत 20-20 मैच की तरह देख रहा है। दोनों देशों के बीच हाल में कई दौर की वार्ता हो चुकी है। कारोबारी रिश्तों से दोनों देशों को फायदा होगा। गोयल ने कहा कि एफटीए काफी जटिल संधि होती है और इसे अंजाम देने से पहले कई परिणामों को ध्यान में रखना पड़ता है।
विभिन्न देशों से एफटीए के अनुभव को देखते हुए आगे किसी भी एफटीए से पहले सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगले दो सप्ताह में व्यापार के लिए ब्रिटेन में नया वैश्विक टैरिफ लागू हो जाएगा जो दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार सहभागिता को बढ़ावा देने में मददगार होगा।