उत्तर भारत में दूध में मिलावट की समस्या ज्यादा: एफएसएसएआइ
खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआइ ने कहा उत्तर भारत में दूध में मिलावट की समस्या अधिक है
नई दिल्ली (आइएएनएस)। दक्षिणी राज्यों की तुलना में उत्तर भारत में दूध में मिलावट की समस्या ज्यादा है। खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआइ ने यह बात कही है। इस समस्या से निपटने की खातिर नियामक पहले ही दूध की गुणवत्ता जांचने के लिए टेस्टिंग किट विकसित कर चुका है। साथ ही वह किट के थोक उत्पादन के लिए निवेशकों की तलाश में है। वैसे, एक और सर्वे के बाद दूध की मिलावट पर अंकुश लगाने को अधिक विस्तृत व केंद्रित रणनीति विकसित की जाएगी।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) के चेयरमैन आशीष बहुगुणा ने यहां केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद (सीसीपीसी) की बैठक के बाद मीडिया को बताया कि तीन महीने पहले एक सर्वे किया गया था। यह दिखाता है कि दक्षिण भारत में दूध में मिलावट कम है। जबकि उत्तर भारत में यह ज्यादा है।
करीब ढाई हजार के सैंपल साइज वाले इस सर्वे में कुछ आश्चर्यजनक नतीजे मिले। कुछ राज्यों में कोई मिलावट दर्ज नहीं की गई। बहुगुणा बोले कि निजी तौर पर वह इस पर यकीन नहीं कर सकते हैं। वैसे, उन्होंने इस बात से इन्कार किया कि वह हाल में हुए सर्वे के नतीजों की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन सटीक तस्वीर के लिए उन्होंने एक और सर्वे कराने की बात कही। इससे रणनीति बनाने में मदद मिलेगी। नियामक दूध की तरह खाद्य तेल के लिए भी टेस्टिंग किट विकसित करने की प्रक्रिया में है।
बोतलबंद पानी में मिलावट को लेकर दो कंपनियां रडार पर:
केंद्रीय खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने सीसीपीसी की बैठक के इतर बताया कि सरकार को बोतलबंद पानी में मिलावट के लिए दो कंपनियों के खिलाफ शिकायत मिली है। इन पर नजर रखी जा रही है। फिलहाल उन्होंने इन कंपनियों के नाम नहीं बताए। सोमवार को सीसीपीसी की बैठक में मिलावट के मुद्दे पर चर्चा हुई। इसमें पासवान ने एफएसएसएआइ को 15-20 रुपये की कीमत में टेस्टिंग किट विकसित करने को कहा।
वेंडिंग मशीनों से खाद्य तेल बेचने की इजाजत:
खाद्य नियामक एफएसएसएआइ ने पश्चिम बंगाल में वेंडिंग मशीनों के जरिये खुला खाद्य तेल बेचने की मंजूरी दी है। पायलट प्रोजेक्ट कोलकाता से शुरू होगा। प्रायोगिक लांच की मंजूरी ऐसे समय दी गई है जब खुले खाद्य तेलों में मिलावट को लेकर चिंता बढ़ रही है। मिल्क वेंडिंग मशीनों की तरह खाद्य तेलों की इनके जरिये बिक्री से गरीबों को बड़ा फायदा होगा। वे इच्छानुसार मात्र में गुणवत्तापूर्ण तेल खरीद सकेंगे।