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पब्लिक सेक्टर के 18 बैंकों में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में हुई 31,899 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल मई और जून में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में धोखाधड़ी के 1197 मामले सामने आए। आरटीआई से यह जानकारी सामने आई है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 11:31 AM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 11:31 AM (IST)
पब्लिक सेक्टर के 18 बैंकों में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में हुई 31,899 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी
पब्लिक सेक्टर के 18 बैंकों में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में हुई 31,899 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों के दौरान पब्लिक सेक्टर के 18 बैंकों में कुल 31,898.63 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 2,480 मामले सामने आये हैं। यह जानकारी एक आरटीआई के जरिए सामने आई है। इस समयावधि के दौरान देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई में सबसे ज्यादा धोखाधड़ी हुई। न्यूज एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के अनुसार, धोखाधड़ी की कुल धनराशि में 38 फीसद राशि से जुड़े मामले सिर्फ एसबीआइ में सामने आए हैं।

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यह आरटीआई मध्यप्रदेश के नीमच में रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ द्वारा दाखिल की गई थी। गौड़ की आरटीआई पर आए आरबीआई के जवाब में बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल, मई और जून में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में धोखाधड़ी के 1,197 मामले सामने आए। इन मामलों में कुल 12,012.77 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई।

वहीं, इस अवधि में धोखाधड़ी के मामले में इलाहाबाद बैंक दूसरे स्थान पर रहा। इस दौरान इलाहाबाद बैंक में धोखाधड़ी के 381 मामले सामने आए, जिनमें कुल 2,855.46 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई। आरटीआई के जवाब से पता चलता है कि लिस्ट में पंजाब नेशनल बैंक तीसरे स्थान पर रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पीएनबी में धोखाधड़ी के 99 मामले सामने आए, जिनमें 2,526.55 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई।

इसके अलावा चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंक ऑफ बड़ौदा में 2,297.05 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 75 मामले, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में 2,133.08 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 45 मामले, केनरा बैंक में 2,035.81 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 69 मामले और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 1,982.27 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 194 मामले सामने आए।

इसके अतिरिक्त इंडियन ओवरसीज बैंक में 46 मामलों में 934.67 करोड़ रुपये, यूको बैंक में 34 मामलों में 470.74 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 85 मामलों में 253.43 करोड़ रुपये, सिंडिकेट बैंक में 54 मामलों में 795.75 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में 51 मामलों में 753.37 करोड़ रुपये और बैंक ऑफ इंडिया में 517.20 करोड़ रुपये की धनराशि के 42 मामले सामने आए।


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