विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 1-18 दिसंबर 54,980 करोड़ रुपये निवेश किये
उन्होंने कहा कि इसके अलावा विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये एक और प्रोत्साहन पैकेज की उम्मीद से भी निवेशक जोखिम ले रहे हैं। इसके अलावा यह उम्मीद की जा रही है कि कोविड-19 टीके के आने से उभरते बाजारों में वृद्धि
नयी दिल्ली, पीटीआइ। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय बाजारों में दिसंबर में अबतक 54,980 करोड़ रुपये लगाये हैं। वैश्विक बाजारों में अतिरिक्त नकदी और विभिन्न केंद्रीय बैंकों के एक और प्रोत्साहन पैकेज की उम्मीद के बीच एफपीआई निवेश बना हुआ है।
डिपोजिटरी आंकड़े के अनुसार एफपीआई ने एक दिसंबर से 18 दिसंबर के दौरान शेयरों में शुद्ध रूप से 48,858 करोड़ रुपये जबकि बांड में 6,112 करोड़ रुपये लगाये। इससे शुद्ध रूप से कुल निवेश आलोच्य अवधि में 54,980 करोड़ रुपये रहा। नवंबर महीने में शुद्ध रूप से एफपीआई निवेश 62,951 करोड़ रुपये था। मॉर्निंग स्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-शोध प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘वैश्विक बाजारों में अतिरिक्त नकदी और कम ब्याज दर के कारण भारत जैसे उभरते बाजारों में विदेशी पूंजी प्रवाह हो रहा है।’’
उन्होंने कहा कि इसके अलावा विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये एक और प्रोत्साहन पैकेज की उम्मीद से भी निवेशक जोखिम ले रहे हैं। इसके अलावा यह उम्मीद की जा रही है कि कोविड-19 टीके के आने से उभरते बाजारों में वृद्धि को गति मिलेगी। इससे भी निवेश को बल मिल रहा है।
सितंबर में समाप्त हुई तिमाही में भारतीय शेयरों में एफपीआई निवेश की कुल वैल्यू 450 बिलियन डॉलर हो गई है। यह इससे पहले की तिमाही में दर्ज किये गए 344 बिलियन डॉलर से काफी अधिक है। इस तरह इसमें करीब 31 फीसद का इजाफा हुआ है।
इस सप्ताह घरेलू शेयर बाजार में कोविड वैक्सीन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण खबरों को छोड़ बड़ी गतिविधियों का अभाव है। जानकारों का कहना है कि ऐसी स्थिति में घरेलू निवेशक विदेशी बाजारों के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों पर नजर रखेंगे। अमेरिका में वित्तीय प्रोत्साहन पर निवेशकों की खास नजर रहेगी।
हालांकि, क्रिसमस से लेकर नए वर्ष तक की छुट्टियों की शुरुआत इसी सप्ताह से हो रही है। ऐसे में मुनाफावसूली से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इसी सप्ताह फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस की एक्सपायरी भी है, जिसका असर शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव के रूप में दिख सकता है।