सितंबर के पहले चार सत्रों में विदेशी निवेशकों ने की 900 करोड़ की निकासी, भारत-चीन तनाव व कमजोर आर्थिक आंकड़े बनें कारण
FPI ने जून महीने में भारतीय पूंजी बाजारों में 24053 करोड़ रुपये जुलाई में 3301 करोड़ रुपये और अगस्त में 46532 करोड़ रुपये डाले थे। PC Pixabay
नई दिल्ली, पीटीआइ। विदेशी निवेश के मोर्चे पर सितंबर महीने में झटका लगा है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने सितंबर महीने के शुरुआती चार सत्रों में भारतीय पूंजी बाजारों से शुद्ध रूप से 900 करोड़ रुपये निकाले हैं। आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने एक से चार सितंबर के बीच शेयरों से शुद्ध रूप से 675 करोड़ रुपये निकाले और ऋण या बॉन्ड बाजार से शुद्ध रुप से 225 करोड़ रुपये निकाले।
एफपीआई ने यह निकासी मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही के कमजोर आर्थिक आंकड़ों व भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ने के चलते की है। इससे पहले जून, जुलाई और अगस्त महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाजारों में अच्छा-खासा निवेश किया था।
एफपीआई ने जून महीने में भारतीय पूंजी बाजारों में 24,053 करोड़ रुपये, जुलाई में 3,301 करोड़ रुपये और अगस्त में 46,532 करोड़ रुपये डाले थे। एफपीआई के इस निवेश से शेयर बाजारों में काफी सकारात्मक माहौल बना हुआ था।
इस संबंध में मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक व प्रबंधक (शोध) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि पहली तिमाही के जीडीपी के आंकड़े जारी होने से पहले बीते सप्ताह की शुरुआत में विदेशी निवेशकों ने सतर्क रुख अपनाया था। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर (-) 23.9 फीसद दर्ज की गई।
श्रीवास्तव ने कहा कि कमजोर वैश्विक रुख व भारत-चीन सीमा पर तनाव के कारण विदेशी निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाजारों से निकासी की। उनका कहना था कि एफपीआई द्वारा की गई निकासी की एक और वजह मुनाफावसूली भी है। मौजूदा माहौल के बीच एफपीआई ने मुनाफावसूली की है। वहीं, कोटक सिक्योरिटीज के रस्मिक ओझा का कहना है कि भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 40 लाख के पार चले गए हैं और अमेरिकी बाजारों में भी बिकवाली का दौर चल रहा है। ऐसे में आने वाले हफ्तों में भी एफपीआई द्वारा और निकासी की जा सकती है।