विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 1 दिसंबर से 10 दिसंबर तक भारतीय शेयर बाजार में की 8879 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक दिसंबर में अब तक भारतीय बाजारों में 8879 करोड़ रुपये के शुद्ध विक्रेता थे। डिपॉजिटरीज के आंकड़ों के मुताबिक उन्होंने 1-10 दिसंबर के दौरान इक्विटी से 7462 करोड़ रुपये डेट सेगमेंट से 1272 करोड़ रुपये और हाइब्रिड इंस्ट्रूमेंट्स से 145 करोड़ रुपये निकाले हैं।
नई दिल्ली, पीटीआइ। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) दिसंबर में अब तक भारतीय बाजारों में 8,879 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल थे। डिपॉजिटरीज के आंकड़ों के मुताबिक, उन्होंने 1-10 दिसंबर के दौरान इक्विटी से 7,462 करोड़ रुपये, डेट सेगमेंट से 1,272 करोड़ रुपये और हाइब्रिड इंस्ट्रूमेंट्स से 145 करोड़ रुपये निकाले हैं। इस अवधि के दौरान कुल नेट आउटफ्लो 8,879 करोड़ रुपये हो गया। नवंबर में, एफपीआई भारतीय बाजारों में 2,521 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल थे।
इस बारे में मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर (मैनेजर रिसर्च) हिमांशु श्रीवास्तव ने बयान देते हुए यह कहा कि, "कोरोनवायरस के नए ओमाइक्रोन संस्करण के कारण दुनिया भर के कई प्रमुख बाजारों में चिंता बनी हुई है। कोरोना वायरस के इस नए संस्करण ने निवेश के विकास दृष्टिकोण को प्रभावित किया है और इससे आने वाले समय में बाजार प्रभावित भी हो सकता है। इसने पहले ही निवेशकों को जोखिम से दूर कर दिया है।"
कोटक सिक्योरिटीज में हेड-इक्विटी रिसर्च (रिटेल) श्रीकांत चौहान ने कहा कि, "मुद्रास्फीति बढ़ने की उम्मीद है और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक सख्ती की उम्मीद है। दिसंबर में अब तक, उभरते बाजारों में प्रवाह मिला जुला रहा है, दक्षिण कोरिया, ताइवान और इंडोनेशिया में क्रमशः 2,164 मिलियन अमरीकी डालर, 1,538 मिलियन अमरीकी डालर और 265 मिलियन अमरीकी डालर की आमद देखी गई। दूसरी ओर, थाईलैंड और फिलीपींस में क्रमश: 161 मिलियन अमरीकी डालर और 81 मिलियन अमरीकी डालर का आउटफ्लो देखा गया। आगामी राज्य चुनावों और ब्याज दरों में वृद्धि की उम्मीद को देखते हुए भविष्य में एफपीआई प्रवाह अस्थिर रहने की उम्मीद है। निवेशक आगामी तिमाही परिणामों पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे।"
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि, "बैंकिंग में निरंतर बिकवाली देखी गई है जिसमें एफपीआई की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। वे सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) में भी विक्रेता रहे हैं। विरोधाभासी रूप से, बैंकिंग और आईटी दो खंड हैं जिनकी आय अच्छी है। अगर बाजार में नरमी बनी रहती है तो बिकवाली की रफ्तार कम हो सकती है। डेट सेंगमेंट में प्रवाह काफी हद तक अमेरिकी डॉलर और अमेरिकी ट्रेजरी प्रतिफल की दिशा से प्रेरित है। इस हफ्ते अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में उछाल से भारतीय बॉन्ड बाजार से कुछ आउटफ्लो भी शुरू हो सकता है।"